*पलायन से वापस लौटे बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करायेगा कृषि विज्ञान केन्द्र-डाॅ॰ प्रेम कुमार*
राजेश कुमार मिश्रा की रिपोर्ट
(दिनांक 20.04.2020)
माननीय मंत्री, कृषि-सह-पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार डाॅ॰ प्रेम कुमार द्वारा बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर एवं उसके अन्तर्गत सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों तथा बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के साथ वीडियो काॅन्फ्रेसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक आयोजित की गयी। इस बैठक में माननीय मंत्री जी के द्वारा कोरोना के कारण लाॅकडाउन में राज्य के किसानों को खेतीबारी से संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु वैज्ञानिक सलाह उपलब्ध कराने, कृषि विज्ञान केन्द्रों में बीज उत्पादन की स्थिति एवं आगामी खरीफ मौसम के लिए बीज की उपलब्धता की स्थिति, खरीफ मौसम में फसलों के बेहतर उत्पादन एवं उत्पादकता प्राप्त करने के लिए आवश्यक रणनीति, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन से संबंधित किसानों के समस्याओं का समाधान, बर्ड फ्लू, स्वाईन फीवर की स्थिति पैदा होने पर समुचित प्रबंधन, पशुओं में होने वाले बीमारियों की रोकथाम एवं पशु जनित संक्रामक बीमारियों के रोकथाम हेतु विश्वविद्यालय स्तर पर की जा रही कार्रवाई तथा राज्य के दूध उत्पादन में वृद्धि के लिए गायों के नस्ल सुधार एवं देशी गौवंश की वृद्धि के लिए की जा रही कार्रवाई पर विस्तृत चर्चा की गई तथा आवश्यक निदेश दिये गये।
माननीय मंत्री ने कहा कि लाॅकडाउन की अवधि में बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों को प्रत्यक्षण हेतु दलहन (मूँग, उरद) का 500 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 94 क्विंटल बीज, तेलहन (तिल, सूर्यमुखी) का 500 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 06 क्विंटल बीज, मक्का का 04 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 08 क्विंटल बीज अन्य (जूट, मशाला फसलें) का 30 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 03 क्विंटल बीज, 1345 पौधा वितरण, 200 यूनिट पशु देखरेख (कृमिनाशक) तथा 123 लिटर विभिन्न प्रकार के रसायन उपलब्ध कराये गये। उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन की अवधि में खेती कार्य में लगे किसानों को कोरोना वायरस से बचाव हेतु सभी 21 कृषि विज्ञान केन्द्रों में किसानों के बीच कुल 4200 मास्क का वितरण किया गया। बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अपने अधीन महाविद्यालयों/कृषि विज्ञान केन्द्रों के द्वारा किसानों को विशेषकर आम, मक्का, जूट, मशरूम एवं मशाला की फसलों एवं गेहूँ की फसल कटाई की तैयारी में कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु दिशा निर्देश, सावधानियों को लगातार संचार तकनीकों यथा व्हाट्सएप, एम-किसान पोर्टल, भ्वाइस मैसेजिंग के माध्यम से जानकारी उपलब्ध करायी जा रही है।
उन्होंने कहा कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों को समय-समय पर मौसम संबंधी जानकारी एवं आवश्यक सुझाव भी दी जा रही है। समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से कृषि तकनीकी एवं पशु स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी उपलब्ध कराई जा रही है। कृषि विज्ञान केन्द्र, बाढ़, पटना द्वारा संचालित एफ॰एम॰ रेडियो स्टेशन के माध्यम से किसानों को कोरोना संक्रमण से बचाव, सुरक्षा के मानक, कृषि कार्य में सावधानियाँ, सरकार द्वारा दिये गये निदेशों के अनुपालन एवं सुझाव, फसलों की समसामयिक जानकारी, पौधा रोग नियंत्रण, पशु स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी विशेषज्ञों के माध्यम से उपलब्ध कराई गई है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित सामुदायिक रेडियो स्टेशन एफ॰एम॰ ग्रीन 90.8 से कोरोना संक्रमण से बचाव, सामाजिक दूरी बनाते हुए कृषि कार्यो का सम्पादन एवं समसामयिक कृषि सलाह निरन्तर प्रसारित किया जा रहा है। जहाँ पहले 03 घंटे के नियमित कार्यक्रम का प्रसारण किया जा रहा था, वहीं लाॅकडाउन अवधि में रेडियो के प्रसारण अवधि को 12 घंटे का किया जा रहा है। इसके साथ ही, सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि, सरकारी निर्देशो, स्थानीय निकाय जैसे मुखिया, सरपंच इत्यादि से इन्टरव्यू का प्रसारण कर समुदाय के लोगों को सटीक जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। लाॅकडाउन की अवधि में पशुओं में गलघोंटू रोग के संक्रमण को देखते हुए विशेषज्ञों द्वारा आवश्यक सुझाव दिये जा रहे हैं। सरकार द्वारा उपलब्ध कराये गये ‘‘आरोग्य सेतु’’ मोबाईल ऐप एवं कृषि रथ ऐप को कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से किसानों के मोबाईल में इंस्टाॅल कराया गया एवं इसके उपयोग की जानकारी भी दी गई है।
डाॅ॰ कुमार ने कहा कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अन्तर्गत सभी महाविद्यालयों में स्नातक/परास्नातक एवं शोध छात्रों की पढ़ाई आॅनलाईन कोर्स के माध्यम से शुरू की गई है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर द्वारा 5028 क्विंटल धान के बीजों को तैयार किया गया है। बायोटेक किसान हब योजना के अन्तर्गत मखाना उत्पादन, मधुमक्खीपालन, टिशू कल्चर केला उत्पादन, बकरीपालन एवं मशरूम उत्पादन के माध्यम से 06 आकांक्षी जिले यथा अररिया, औरंगाबाद, बाँका, खगडि़या, पूर्णियाँ एवं कटिहार में ऐसे युवक, जो पलायन से लौटे हैं, उनको इस योजना के माध्यम से जीवकोपार्जन हेतु प्रेरित किया जा रहा है। बायोटेक किसान हब योजना के अन्तर्गत पटना, लखीसराय एवं गया जिलों के किसानों को खेसारी फसल उत्पादन हेतु विशेष जानकारी प्रदान की गई है। पलायन से लौटे युवकों के लिए स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग लाॅकडाउन के बाद वृहद रूप से शुरू की जायेगी।
माननीय मंत्री ने सूचना संचार तकनीकों के माध्यम से किसानों को खेती एवं पशुपालन से संबंधित समस्याओं का समाधान ज्यादा-से-ज्यादा करने की अपील की तथा आगामी खरीफ मौसम में किसानों को अधिक-से-अधिक बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक निदेश दिया। उन्होंने बर्ड फ्लू, स्वाईन फीवर की स्थिति पैदा होने पर पशुओं की जाँच हेतु आवश्यक लैब की स्थापना करने को कहा तथा स्मार्ट एग्रीकल्चर कलस्टर के माध्यम से किसानों के फल, सब्जियों की बिक्री हेतु आवश्यक बाजार हेतु निदेश दिया गया।
इस वीडियो काॅन्फ्रेसिंग में डाॅ॰ अजय कुमार सिंह, कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, डाॅ॰ रामेश्वर सिंह, कुलपति, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना, श्री बिनोद सिंह गुंजियाल, निदेशक, पशुपालन, बिहार तथा डाॅ॰ आर॰ के॰ सोहाने, निदेशक प्रसार शिक्षा सहित अन्य पदाधिकारी एवं वैज्ञानिकगण उपस्थित थे।
कृषि विज्ञान केन्द्र, मानपुर, गया के प्रधान वैज्ञानिक डा॰ राजीव सिंह ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में 172 प्रषिक्षण आयोजित कर 12500 किसानों को प्रषिक्षित किया गया है। जल शक्ति अभियान अन्तर्गत इमामगंज एवं मानपुर में किसान मेला आयोजित कर 3500 किसानों को जल संरक्षण की जानकारी दी गई है। कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा मौसम के बदलते हुये मौहाल में क्लाईमेट रिसिलियेन्ट एग्रीकल्चर की शुरुआत की गई है जिसके अन्तर्गत नगर प्रखण्ड के रसलपुर एवं मानपुर के रुपसपुर एवं रसलपुर में 125 एकड़ में जिरो टिलेज से गेहूॅ की खेती तथा 20 एकड़ में जिरो टिलेज से मसूर की खेती करायी गई है। कार्यक्रम अन्तर्गत 50 एकड़ में खेसारी प्रत्यक्षण भी आयोजित किया गया है। कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा जिले के सभी 24 प्रखण्डों के किसानों को सम्मिलित कर व्हाट्स ऐप ग्रुप बनवाया गया है एवं उन्हें मौसम अनुकूल खेती, उद्यान, पशुपालन एवं मत्स्यपालन के सुझाव दिये जा रहे हैं। किसानों को खरीफ में निर्धारित मूल्य पर उच्च गुणवत्तायुक्त धान का 175 क्विटल बीज उत्पादित किया गया है। जिले में कृषि विज्ञान केन्द्र, आमस की स्थापना माननीय मंत्री महोदय के प्रयास से मूर्त रुप ले रही है अभी तक के॰वी॰के॰ आमस द्वारा 62 प्रषिक्षणों का आयोजन कर 1632 किसानों को प्रषिक्षित किया गया है।

