टीएमबीयू और भागलपुर गौशाला के बीच एमओयू पर हुआ हस्ताक्षर।
समाज के लिए उपयोगी साबित होगा गौशाला के साथ एमओयू : कुलपति।
साइंटिफिक, शैक्षणिक और ट्रेनिंग कोऑपरेशन पर आधारित एमओयू लिखेगी नई इबादत - प्रो. नीलिमा गुप्ता।
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) और श्रीश्री गोशाला समिति भागलपुर के बीच सोमवार को एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया।
दोनों संस्थानों के बीच उक्त एमओयू साइंटिफिक, शैक्षणिक और ट्रेनिंग कॉपरेशन पर आधारित है।
टीएमबीयू की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की पहल पर उनकी मौजूदगी में विश्वविद्यालय और भागलपुर गौशाला के बीच एमओयू को मूर्त रूप दिया गया। दोनों पक्षों के बीच हुए एमओयू में कुल सात आर्टिकल का उल्लेख किया गया है।
दोनों पक्षों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर अधिकारियों की मौजूदगी में नया बाजार कोतवाली रोड स्थित गोशाला परिसर में किया गया।
टीएमबीयू की ओर से कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता, कुलसचिव डॉ निरंजन प्रसाद यादव, डीन एकेडमिक्स प्रो. अशोक कुमार ठाकुर, प्रो. बिहारी लाल चौधरी और कॉर्डिनेटर डॉ रितु मिश्रा ने एमओयू पर साइन किया जबकि भागलपुर गोशाला समिति की तरफ से वॉइस प्रेसिडेंट सत्य नारायण पोद्दार, महामंत्री गिरधारी केजरीवाल, मंत्री सुनील जैन, कार्यसमिति सदस्य राम गोपाल पोद्दार, सज्जन किशोरपुरिया व लक्ष्मी नारायण डोकानिया ने हस्ताक्षर किया।
इस मौके पर टीएमबीयू के पीआरओ डॉ दीपक कुमार दिनकर सहित गोशाला समिति के कई सदस्य और समाजसेवी भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि टीएमबीयू और श्रीश्री गौशाला समिति के बीच हुए एमओयू समाज के लिए काफी उपयोगी साबित होगा। इससे विश्वविद्यालय समाज से सीधे तौर पर जुड़ जाएगा। दोनों ही संस्थाओं के लिए यह एमओयू मील का पत्थर साबित होगा। टीएमबीयू समाज के उत्थान और प्रगति में भी अपनी भूमिका का निर्वहन करेगा। एमओयू के द्वारा दोनों ही पक्षों की साझेदारी और सहयोग के साथ शैक्षणिक और शोध कार्यों को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे टीएमबीयू रिसर्च के क्षेत्र में एक नया मिसाल कायम करेगा। जिससे टीएमबीयू की साख और प्रतिष्ठा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर बढ़ेगी।
कुलपति ने कहा कि एमओयू सिर्फ कागज के पन्नों तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि इसमें भविष्य की कई भावी योजनाएं भी शामिल हैं। गौ उत्पाद से कई सामग्रियाँ बनाई जाएगी। हैंडवास, फेसवॉश, शैम्पू, फर्टिलाइजर सहित कई उत्पाद बनाये जाएंगे। इन उत्पादों को बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल सकेंगे। इस योजना में गांवों को भी शामिल किया जाएगा। ताकि गांव भी सशक्त और आत्मनिर्भर बन सके। इससे संसाधन भी उपलब्ध हो सकेंगे। भागलपुर को आत्मनिर्भर बनाने में यह एमओयू काफी मददगार सिद्ध होगा। प्रोडक्टिविटी को बढ़ाया जाएगा। इस योजना से आम आदमी भी जुड़ेंगे। उन्हें रोजगार उपलब्ध होगा।
यह समझौता एग्रीकल्चरल के क्षेत्र में भी काफी लाभकारी होगा। जो भी प्रोडक्ट बनाये जाएंगे उसके ऊपर मेड इन भागलपुर अंकित होगा और साथ ही दोनों ही संस्थाओं के नाम भी लिखे होंगे। ई -मार्केटिंग के जरिये भी उत्पादों को बेचा जाएगा।
कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि मंथली प्लान (मासिक कार्य योजना) बनाये जाएंगे और उसे मूर्त रूप दिया जाएगा।
वीसी ने कहा कि टीएमबीयू और गोशाला के बीच हुए एमओयू समझौते से हम रिसर्च के क्षेत्र में काफी आगे बढ़ेंगे। हमारे छात्र रिसर्च कार्यों में संलग्न होंगे। इससे टीएमबीयू की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। रिसर्च के क्षेत्र में टीएमबीयू एक नया इतिहास और आयाम लिखेगा।
गोशाला समिति के सदस्यों ने कहा कि दोनों ही संस्थाओं के बीच हुए एमओयू से समाज का कल्याण होगा। उच्च शिक्षण संस्थान के साथ एमओयू करने वाला भागलपुर गोशाला संभवतः पहली संस्था होगी जो इस क्षेत्र में बिहार का नजीर बनेगा। दो संस्थान एक मंच पर पहली बार समाज हित के लिए काम करेगी।
एमओयू पर हस्ताक्षर से पूर्व टीएमबीयू की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता का स्वागत गोशाला समिति की ओर से बुके, अंग वस्त्र और प्रतीक चिन्ह भेंट कर किया गया। एमओयू साइन करने के बाद कुलपति सहित विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने गोशाला परिसर का भी भ्रमण किया और वहां की व्यवस्था देखकर प्रसन्नता जाहिर की।
कार्यक्रम का संचालन गोशाला के मंत्री सुनील जैन ने किया।
क्या है खास एमओयू में -
सेल्फ फिनांस सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स भी शुरू किए जाएंगे।
अधिकांश उत्पाद दूध और गाय के प्रोडक्ट पर आधारित होगा। मवेशी नस्ल के सुधार के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान किये जायेंगे। दूध की गुणवत्ता और उत्पाद क्षमता को बेहतर करने की दिशा में शोध कार्य किये जायेंगे।
उक्त आशय की जानकारी टीएमबीयू के जनसम्पर्क पदाधिकारी डॉ दीपक कुमार दिनकर ने दी।