गो सेवा सबसे बड़ा पुण्य का कार्यः विशल्य सागर
भागलपुर
शैलेन्द्र कुमार गुप्ता
जैन धर्म के पूज्य मुनिराज विशल्य सागर जी महाराज रविवार को कोतवाली स्थित गोशाला पहुंचें। वहां आर्शीवचन के दौरान विशल्य सागर ने कहा कि गो संरक्षण एवं संवर्धन राष्ट्र के विकास के हित में है। गो सेवा के उदाहरण ग्रंथों में मिलते हैं। गो सेवा सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है। गाय प्रेम, वात्सल्य की मूर्ति है। गोशाला में गाय और बच्चे अलग-अलग शेड में रहते हैं। बच्चों का माता से मिलन होता है तो, सभी बच्चे सैकड़ों की संख्या में गायों के बीच अपनी मां को पहचान कर दूध पीते हैं। जीवन बैर नहीं वैराग्य बढ़ाने के लिए है। धर्मात्मा बनना है तो, धर्मात्माओं के निकट रहना चाहिए। किसी को हराना नहीं है प्रेम से सबको साथ लेकर चलना है। गुरु की सीख हमें भटकने नहीं देती। गोशाला के महामंत्री गिरधारी केजरीवाल ने कहा कि मुनिराज विशल्य का मार्गदर्शन हमें जीवन में आगे बड़ने की प्रेरणा देता है। गो स्पर्श एक सुखद अनुभूति देता है, और रोगों को दूर करने में लाभ मिलता है। वहीं, विशल्य सागर ने गोशाला का भ्रमण भी किया और यहां की व्यवस्था, स्वछता की उन्होंने सराहना की। इस अवसर पर राम गोपाल पोद्दार, बिहारी लाल चौधरी ने मुनिराज को शास्त्र प्रदान किया। मौके पर गोशाला मंत्री सुनील जैन, रोहित, किशन, राजेश बंका, यत्न कीर्ति, ब्रह्मचारिणी अलका दीदी, ब्रह्मचारिणी भारती दीदी, पदम् पाटनी, जय कुमार काला, सुमंत पाटनी, अशोक पाटनी, संजय गंगवाल, नरेश खेतान आदि मौजूद थे।


























