सत्ता की राजनीति के कारण ही देश में सांप्रदायिक हिंसा कराई जाती : उदय
- कला केन्द्र में विश्व हिरोशिमा दिवस पर गोष्ठी आयोजित
भागलपुर
शैलेन्द्र कुमार गुप्ता
कला केंद्र भागलपुर में पीस सेंटर परिधि की ओर से रविवार को हिरोशिमा दिवस के अवसर पर संगोष्ठी “मणिपुर हिंसा के निहितार्थ“ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उदय ने कहा कि प्रथम विश्व युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध या किसी देश के अंदर के सांप्रदायिक या नस्लीय हिंसा सत्ता की राजनीति के कारण ही कराई जाती है। जिसमें हिंसा में सत्ता की भागीदार नहीं होती वह दो दिनों के अंदर रोकी जा सकती है। मृदुला सिंह“न्याय दिलाने के नाम पर,उग आते हैं कुकुरमुत्ते..बराबरी के नाम पर रोज लूटी जाती बहन बेटियों की आबरू“ कविता सुनाई। पिंकी मिश्रा ने भरी सभा में कब तक औरत दांव पर लगाई जाएगी कविता सुनायी। इस अवसर पर शायर जावेद अख्तर ने अपनी नज्म “ जीवन की साँसो पर अपने मिट्टी का अहसान है, हमको अपनी जान से प्यारा अपना हिंदुस्तान है सुनाया। हबीब मुर्शिद खां ने कहा कि मणिपुर की घटना देश के लिए बहुत ही दुःखद है। लक्ष्मी सिंह ने अपनी कविता द्वारा नारी सम्मान की बात की। एकराम हुसैन शाद ने अपनी रचना जल रहा है तो जले मुल्क किसे क्या मतलब, हिंसा के मूल सत्ता को बताया और एकजुटता की बात की। इस अवसर पर डॉ जयंत जलद, कोमल कुमारी, यास्मीन बानो, लक्ष्मी सिंह, सार्थक भरत, सैयद असर, चंद्रशेखर मिश्र, जावेद अख्तर, बाकिर हुसैन, मनोज कुमार, अनिरुद्ध, पिंकी मिश्रा, मृदुला सिंह, कृषिका गुप्ता, रेखा रमन सिंह, पूनम श्रीवास्तव, शारदा श्रीवास्तव आदि ने भी अपनी बातें रखी।
इधर, सामाजिक सांस्कृतिक संस्था समवेत की ओर से लालूचक नाथनगर में हिरोशिमा दिवस के अवसर पर गोष्ठी “मानवता के लिए शांति “का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने एक स्वर में कहा की वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत शांति है। आज पूरा विश्व अशांत है। साम्राज्यवादी विचार पूरे विश्व को विध्वंश को ओर ले जा रहा है। धर्म, जाति, लिंग, भाषा,क्षेत्र,नश्ल,आदि की संकीर्ण विचार के कारण हम आपस में ही लड़ रहे हैं । वर्तमान समय में जीता जागता उदाहरण मणिपुर की घटना है और यह विद्वेष धीरे-धीरे पूरे देश में फैल रहा है। इस संकीर्णता से उपर उठकर प्रेममूलक, समतामूलक समाज निर्माण की तरफ जाना ही एकमात्र विकल्प है। गोष्ठी में पल्लवी कुमारी द्वारा सर्वेश्वर दयाल सक्सेना रचित कविता “यह देश कागज पर बना नक्सा नहीं“ का पाठ किया। इसके अलावा अन्य युवा युवतियों ने भी सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। इस शहर पर स्वीटी प्रिया, कोमल, विजय कुमार,अरविंद,सुनील कुमार मंडल,ज्योति कुमारी,नव्या ज्योति,जूली,शिवानी, सन्नी कुमार,राहुल,कार्तिक मंडल, विपिन, प्रभाष कुमार, सीताराम मंडल, नीतीश, लख्खी मंडल आदि शामिल थे।


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