भागलपुर
रिपोर्ट शैलेंद्र कुमार गुप्ता
खरना पुजा
कल नहाय खाय से महापर्व छठ आरंभ हो चुका है। आज 29 अक्तूबर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है और छठ का दूसरा दिन है। आज का दिन खरना कहलाता है। पूर्वांचल, बिहार, यूपी और झारखंड के क्षेत्र में लोग लोक आस्था के इस महापर्व को पूरे हर्षोल्लास से मनाते हैं। साल भर में यह सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। कल यानी 30 अक्तूबर को तीसरे दिन शाम को ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी पूजा की जाएगी और चौथे दिन यानी 31 अक्तूबर को सुबह के समय उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इस महापर्व का समापन किया जाएगा। आइए जानते हैं खरना की पूजा में किस सामग्री की आवश्यकता होती है और यह पूजा किस प्रकार और किस विधि से की जाती है।
आज से व्रतधारियों 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा।
महिलाएं आज शाम को पूजा करने के बाद 36 घंटे के लिए निर्जला उपवास रखेंगी और सूर्य को अर्घ्य देंगी।
शाम के समय घी लगी रोटी, गूड़ की खीर, और फल से भगवान का भोग लगाया जाता है।
भोग लगाने के बाद महिलाएं यह प्रसाद के तौर पर ग्रहण करती हैं
इसके बाद से उनका 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है।
यह उपवास चौथे दिन सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है।
अगले दिन अर्घ्य देने के लिए महिलाएं एक दिन पहले से प्रसाद बनाने की तैयारी करने लगती हैं।
छठ पूजा में दूसरे दिन को “खरना” के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन का उपवास रखती हैं। खरना का मतलब होता है, शुद्धिकरण। खरना के दिन शाम होने पर गुड़ की खीर का प्रसाद बना कर व्रती महिलाएं पूजा करने के बाद अपने दिन भर का उपवास खोलती हैं।



















