भागलपुर बिहार
शैलेन्द्र कुमार गुप्ता
आज 8 अगस्त 2023 को भारत छोड़ो आंदोलन दिवस पर राष्ट्र सेवा दल और युसूफ मेहर अली सेंटर
की ओर से कला केंद्र में "आजादी आंदोलन के मूल्य " पर चर्चा आयोजित हुई. विषय प्रवेश कराते हुए उदय ने कहा कि 8 अगस्त को ही 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा की गईं थी और 9 अगस्त को पूरे देश में " करो या मरो " के संकल्प के साथ महात्मा गांधी के नेतृत्व सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ था. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में भारत छोड़ो आंदोलन जिसे ' 42 आंदोलन और अगस्त क्रांति के नाम से भी पुकारते हैं का अहम योगदान रहा है. भारत छोड़ो /क्विट इंडिया का नारा महान समाजवादी और मुंबई (बम्बई ) पूर्व मेयर युसूफ मेहर अली ने दिया था. लम्बे संघर्षों का परिणाम आजादी है और आजादी आंदोलन का मूल्य हमारे संविधान में निहित है. आज जो हम इतराते हैं, फास्ट ग्रोइंग एकोनॉमी या और जो भी दम्भ भरते हैं अगर आजादी नहीं मिली होती,आजादी का संघर्ष नहीं हुआ होता तो यह संभव नहीं था. यही कारण है कि जिनके लिये आजादी 2014 में मिली वे भी आजादी का अमृत महोत्स्व मनाते हैं.
राहुल ने कहा कि भारत का स्वतंत्रता संग्राम केवल उपनिवेशवाद, अंग्रेजी शासन से मुक्ति नहीं थी. आजादी की लड़ाई पलासी का युद्ध - 1757 से जो शुरू हुआ उसमें कई तरह के विचार भावनाएं मूल्य और अपेक्षाएं जुड़ती चली गईं. अनिरुद्ध ने अपनी बात में कहा कि यह बात सही है कि महात्मा गांधी जब आजादी की लड़ाई में शामिल हुए तब स्वतंत्रता आंदोलन का स्वरूप राष्ट्रीय और राष्ट्रवादी हुआ. हिंदू मुसलमान, सिक्ख, आदिवासी, दलित, पिछड़े, महिलाएं, हिंदी भाषी गैर हिंदी भाषी, उत्तर दक्षिण नार्थ ईस्ट सभी आजादी की लड़ाई में शामिल हुए तब इसे राष्ट्रीय आंदोलन कहा जाने लगा. जब सभी तबके स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े तभी आजादी संभव हुआ. जैसे जैसे पूरा राष्ट्र आजादी आंदोलन में शामिल होता गया वैसे वैसे कुछ प्रतिबद्धतायें भी बनती गईं.
उज्ज्वल कुमार घोष ने कहा लोकतंत्र आजादी आंदोलन का सबसे बड़ा मूल्य है. सभी व्यक्ति और समुदाय की बराबरी और सम्मान का हमने स्वतंत्रता आंदोलन के दरम्यान वादा किया. धर्मों,रीति रीवाजों, मान्यताओं और अभिव्यक्ति की आजादी भी आजादी के मूल्य हैं. इन्हीं मूल्यों की रक्षा के लिये संघीय ढांचा का प्रावधान किया गया और संविधान में 5 वीं और 6 ठी अनुसूची के साथ कई राज्यों विशेष दर्जा दिया गया. विविधता की रक्षा के लिये ही अध्यक्षीय प्रणाली के बजाय संसदीय प्रणाली और बहुदलीय व्यवस्था अपनाई गई. समाजवाद / समतावाद और कल्याणकारी राज्य की अवधारणा भी हमारे आजादी आंदोलन के ही मूल्य हैं. विज्ञानोभिमुखता भि हमारे आजादी आंदोलन के ही मूल्य हैं.
आजादी आंदोलन जब चरम पर था तो इस बात का जरूर मतभेद था कि संघर्ष कैसे हो पर मूल्यों पर कोई मतभेद नहीं था. आजादी आंदोलन के मूल्य महात्मा गांधी, भगत सिंह, सुभाषचंद्र बोस, अशफाक उल्लाह,जवाहर लाल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सरदार पटेल, डॉ लोहिया, जेपी और युसूफ मेहर अली आदि के अरमान हैं, जिसे संविधान सभा के ड्राफ्टिंग कमिटी के चेयरपर्सन डॉ अम्बेडकर ने संविधान में पिरोया.
आज जो संविधान, आजादी आंदोलन, आजादी आंदोलन के मूल्य और आजादी आंदोलन के नायकों पर हमले कर रहे हैं वे राष्ट्रवाद पर हमला कर रहे हैं, राष्ट्रद्रोही हैं. कार्यक्रम में अनिरुद्ध, उदय, उज्जवल घोष, राहुल,मंजीत कुमार, अरविन्द सिंह, मनोज कुमार, अमित देव, कौशल्या, संगीता, पूजा, जितेंद्र, रामचरित्र, अरविन्द, जय नारायण, अरुण, मिथिलेश आनंद, स्मिता कुमारी आदि शामित थी।