स्वराँजलि
पटना सिटी
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प्रकाशनार्थ
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शोक सभा (वर्चुअल )
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"साहित्य ,कला , संस्कृति की पर्याय थीं मृदुला सिन्हा " :डा. ध्रुव कुमार
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.... कहा मैं दादी समान , शाल उढ़ाओ
औऱ शीश झुका दिया : अनिल रश्मि
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राजनीतिक जीवन में राज्यपाल के पद पर रहते हुए समाजसेवा,भारतीय
संस्कृति औऱ साहित्य को समान रूप
से जिया । बिहार उनके सांसो में बसता था , मृदुला जी का व्यक्तित्व
स्त्री सशक्तिकरण की मिसाल है ,जो
सदियों तक लोगों को प्रेरित करती रहेगी । प्रखर साहित्यकार थीं । उनके साहित्य लेखन में स्त्री व्यथा के साथ
ग्रामीण समस्याओं औऱ इन कुंठित समस्याओं क़ा मानव पर होने बाले
प्रभाव क़ा शाश्वत चित्रण देखने को
मिलता है। नारी रूप में सामाजिक
परिवेश में " ममता की मूर्ति " के रूप
में प्रतिस्थापित थीं मृदुला जी॥ तीन
दशक से पारिवारिक संबंध था मेरा ।
अपनी किर्तियों में सदैव ज़िन्दा रहेंगीं ।
मैं इन्हे नमन करता हूँ। ये बातें आज
स्वराँजलि द्वारा आयोजित महेन्द्रू स्थित " व्योम सभागार " में शोक सभा
में शिक्षाविद , लेखक डा. ध्रुव कुमार नें
कही।
संयोजक अनिल रश्मि नें संस्मरण सुनाते हुए कहा 4 जून ,2015 को
पर्यावारण दिवस की पूर्व संध्या पर
कार्यक्रम था । इस क्षेत्र में महामहिम
मृदुला जी नें का़फी अच्छा काम किया
था , को लेकर मुझे मृदुला जी को
सम्मानित करना था । सम्मान पत्र दिया । जब शाल हांथो में देने लगा तो
उन्होनें कहा... " मैं दादी समान हूँ ,
शाल उढ़ाओ औऱ शीश झुका दिया..।"
इतनी सरलता , सहजता , अंतहीन
स्नेह की प्रकाशपुंज सदियों में एक बार धरती पर अवतरित होता है, वो
थीं मृदुला जी॥ मैं अभिभूत हो गया
था । ऐसी ज्ञानमनी को मैं वंदन करता
हूँ। ईश्वर उन्हें आत्म - शांति दे।
मौक़े पर डा. दिलिप कुमार , डा. करुणा निधि , डा. सूर्य प्रताप , डा. विजेंद्र चंद्रवंशी , नितिन कुमार वर्मा,
राजा पुट्टु , ऋषभ रत्न , डा. शीला
कुमारी , सुनीता रानी ,तलत जहां नें
अपनी गहरी संवेदनाएं प्रकट की।
ह o- डा. ध्रुव कुमार
महासचिव
स्वराँजलि, पटना सिटी