मंदार पर्वत पर मौजूद सीता कुंड मंदार में मां सीता ने किया था मंदार पर छठ व्रत
पर्वत पर सीता कुंड में आज भी श्रद्धालु करते हैं छठ व्रत
बौंसी ।
मंदार पर्वत से लोक आस्था का महापर्व छठ व्रत का मंदार से जुड़ाव है। कहा जाता है कि यह कुंड विष्णु भगवान के चक्र से विभूषित है और यह नित्य शेषशायी भगवान उत्तर दिशा में वास करते हैं। रामचंद्र जब सीता और लक्ष्मण के साथ इस पर्वत पर आए थे तब सीता मैया ने इस सरोवर में स्नान कर छठ का व्रत किया था इसीलिए इसका नाम सीताकुंड पड़ा। पर्वत पर साक्ष्य के तौर पर आज भी सीता कुंड मौजूद है। इस पवित्र सीता कुंड की ख्याति इतनी दूर तक है कि काफी संख्या में श्रद्धालु मंदार पर्वत के पास जुटते हैं और छठ व्रत करते हैं। पौराणिक दृष्टिकोन से अतिमहत्वपूर्ण मंदार पर्वत पर अवस्थित इस कुंड के पास ही एक पुष्प वाटिका स्थित है जिसे सीता वाटिका कहा जाता है जब सीता माता ने छठ व्रत किया था। रामायण में इस कुंड की चर्चा विस्तार पूर्वक की गयी है। सीता कुंड की गहराई इतनी है कि पर्वत पर सालों भी इस कुंड में पानी जमा रहता है और यहां आने वाले श्रद्धालु इस कुंड का पानी पीते है।सीता कुंड से उपर राम झरोखा है जिसकी मान्यता है कि मां सीता इस रामझरोखा में बैठती थी और मंदार का अवलोकन करती थी। पर्वत के समीप भगवान नरसिंह मंदिर के पुजारी पंडित भवेश चंद्र झा ने बताया कि इसका नाम चक्रावर्त था बाद में जब सीता मां ने यहां छठ व्रत किया उस कुंड नाम सीता कुंड पड़ा। ऐसी मान्यता है कि यहां पर छठ व्रत करने से सर्वमनोकामना पूर्ण हो जाती है। यही वजह है कि साल दर साल यहां पर छठ व्रत करने लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है हालांकि लोगों की भीड़ की वजह से पर्वत तराई में अविस्थत पापहरणी सरोवर में ही लोग अर्घ्य देते हैं।इसी सीता कुंड से होकर जल पापहरणी सरोवर में भी जाता हैभगवान श्री राम के त्रेता युग में मंदार आगमन की बहुत सारी कथाएं हैं उन कथाओं को हम साक्षी के रूप में जोड़ सकते हैं लेकिन मुख्य रूप से भुवन भास्कर के महापर्व छठ व्रत का अनुष्ठान करने से सीता मैया के द्वारा चक्रावर्त कुंड का महत्व बढ़ गया है ।


0 comments: