"जठर की अग्नि मंद होने से ,अम्लता की बढ़ोतरी पर ,पित्त दूषित होने पर, पाचन शक्ति की सुस्त स्थिति रहने पर बरसाती मौसम में भूख की कमी हो जाती है -उक्त बातें अपने अध्यक्षीय संबोधन में वैद्य देवेंद्र कुमार गुप्त ने कही| उन्होंने कहा वर्षा के मौसम में कमजोर पाचन एवं गैस की अधिकता से बचाव हेतु प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत पेट की पट्टी लपेट करनी चाहिए | अवसर देशी दवाखाना में विषय वर्षा ऋतु में रहन-सहन पर विचार गोष्ठी का था|
विचार गोष्ठी देशी दवाखाना प्रांगण में वैद्य देवेंद्र कुमार गुप्त की अध्यक्षता में संपन्न हुआ| जिसमें मुख्य अतिथि डॉ रतनलाल मिश्रा तथा विशिष्ट अतिथि डॉ.जयंत जलद मंचासीन थे |मुख्य अतिथि डॉ रतनलाल मिश्रा ने कहा कि इस ऋतु में नमी की अधिकता के कारण वायरस, जीवाणु ,कीटाणु के पनपने पर चर्म रोग में बढ़ोतरी हो जाती है |इससे बचाव हेतु नीम पत्ती उबले पानी से शरीर रगड़- रगड़ कर स्नान करना उचित है| विशिष्ट अतिथि डॉ.जयंत जलद ने कहा कि उक्त मौसम में गरिष्ठ भोजन, मसालेदार तेलीय खाने की वस्तुओं का सेवन करने से बचना चाहिए| हरी सब्जियां, मूंग दाल ,मूली, जीरा, अजवाइन, नींबू सेवनीय हैं| पहनावे में सूती वस्त्र का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए |
डॉ.रुपेश ,डॉ.दिलबहार राय ,वैद्य श्रीमती लीला गुप्त एवं अन्य ने भी अपने विचार रखें |मौके पर श्रीमती उर्मिलक्ष्मी ,पंकज, सुरेंद्र सिंह, श्रीमती शुभ्रा आदि उपस्थित| थे गोविंद कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया|


0 comments: