आज परिधि, भागलपुर के द्वारा स्थानीय कलाकेंद्र भागलपुर में "लैंगिक समता की बाधाएं" विषय पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई। लैंगिक विषमता और महिला हिंसा की चर्चा करते हुए सुषमा ने कहा कि महिलाओं को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार का कानून बने कई दशक बीत गया है लेकिन आज तक यह पूरी तरह धरातल पर नहीं आ पाया है। लड़कियों और महिलाओं पर आरोपित हिंसा का एक बड़ा कारण सम्पत्ति पर अधिकार का न होना है।
लाडली राज ने कहा कि जब बहन संपत्ति में अधिकार मांगने लगती है कि तो रिश्ते खत्म होने लगते हैं। लैंगिक विषमता और महिला हिंसा का कारण पितृसत्ता का मानसिक बनाबट है। रश्मि राज का कहना था कि समाज औरतों को पूर्ण मानव नहीं समझते ऐसे में महिलाओं के अधिकार की बात अजूबा माना जाता है। महिलाएं अपनी अधिकार के प्रति जागरूक होकर जब लड़ेंगी तभी लैंगिक समता आएगी।
पिंकी मिश्रा ने कहा कि महिलाओं पर हमेशा कर्तव्य लाधी जाती है लेकिन अधिकार की बात होने पर उनके मुंह को बंद करने की कोशिश होती है। लैंगिक असमानता का आधार मानसिक गुलामी है इसे तोड़े बिना समता सम्भव नहीं है।
मृदुला सिंह ने कहा कि छोटे बच्चे बच्चियों में जब हम भेदभाव करते है उसी समय से हम उनमे असमानता का भाव भर देते हैं। कोमल कुमारी ने कहा कि महिलाओं को आज भी पूरे मौके नहीं मिल पाते अपने संघर्ष के बूते अगर वे आगे भी बढ़ते है तो परिवार, स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, कार्यस्थल सभी जगह विषमता का सामना करना पड़ता है।
दुर्गा राज ने अपनी बात कहते हुए कहा कि संस्कार के नाम पर महिलाओं को गुलाम बनाया गया है, अपनी स्वतंत्रता केलिए इन फर्जी संस्कारो को तोड़ने की भी जरूरत है। तेहरुन्निसा ने कहा कि महिलाओं पर हिंसा के खिलाफ समाज को एकजुट होना पड़ेगा। इस मौके पर एडवोकेट शारदा श्रीवास्तव के साथ उनके भाई द्वारा किए गए हिंसा पर सभी ने कड़ी आपत्ति जताते हुए प्रशासन से कार्रवाई करने की मांग की । इस अवसर पर लाडली राज,कोमल कुमारी, तेहरु निशा, रफिजिया अतहर, सुषमा सिन्हा,ममता सिंह,पिंकी मिश्रा, मृदुला सिंह, दुर्गा कुमारी, कोमल कुमारी, डॉली कुमारी, सार्थक भरत, शारदा श्रीवास्तव, कंचन कुमारी,चांदनी झा, कृष्णा राज, शोभा श्रीवास्तव, राहुल आदि उपस्थित थे।


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