राष्ट्रीय शिक्षा नीति से अब बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव
… आचार्य सुदर्शन
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वरिष्ठ शिक्षाविद राज ऋषि आचार्यश्री सुदर्शनजी महाराज ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को छात्र उपयोगी बताया है | माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति की बिंदुवार इसकी विशेषताओं की घोषणा की | प्रधानमंत्री जी ने स्पष्ट कहा कि देश तेजी से 21वीं शताब्दी में प्रवेश कर रहा है | इसलिए नई पीढ़ी के छात्र-छात्राओं को नई चुनौतियां के साथ स्वयं को उसके अनुरूप तैयार करने की आवश्यकता है |
कहते हैं कि अगर अभी के वनिस्पत और बेहतर परिणाम प्राप्त करना है तो उसके लिए पुराने साधन के बजाय नए साधन का उपयोग करना होगा | इसी कारण नई शिक्षा नीति में स्कूलों को नया परिवेश और नई तकनीक से बच्चों को पढ़ाने की आवश्यकता है | इसके अंतर्गत बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा, प्ले और फन विधि का उपयोग करना होगा | शिक्षा को क्रियात्मक ढंग से लागू करने के लिए बच्चों को कक्षाओं से बाहर लाकर उन्हें प्रकृति की गोद में ले जाकर नदी, नालों, पहाड़, झरनों और खेतों में ले जाकर जीवन उपयोगी वस्तुओं से परिचय कराना होगा | किताबों के बजाय खुले वातावरण में जो ज्ञान उपलब्ध है बच्चों को उस ज्ञान को उपलब्ध कराना होगा | इस शिक्षा नीति में इस बात की भी चर्चा की गई है कि भारत की सांस्कृतिक धरोहरों, परंपराओं, लोक प्रचलित मान्यताओं और संस्कारों से बच्चों को परिचित कराया जाय साथ ही लोक कलाओं, जीवनोपयोगी व्यवसायों का ज्ञान भी बच्चों को कराया जाए | खेल, खिलौना, हस्तकला, मिट्टी के बर्तन, मधुबनी पेंटिंग, घरौंदा आदि का ज्ञान आवश्यक है | साथ ही हम अपने वस्त्रों के उत्पादन, भोजन सामग्री के उत्पादन को जानें | माता-पिता, गुरुजनों के प्रति आदर सम्मान समझें और स्वाध्याय के द्वारा अपने शरीर, मन और मस्तिष्क को विकसित करें | सामान्य व्यवहार की बातों को भी जानें | हॉस्पिटल, थाना तथा अपने नागरिक कर्तव्यों का भी ज्ञान प्राप्त करें |
आचार्य सुदर्शन ने कहा कि आज की शिक्षा केवल सूचना प्रदान कर रही है | इसलिए बच्चों को व्यावहारिक शिक्षा की आवश्यकता है | छोटे बच्चों को घर की भाषा यानी मातृभाषा में शिक्षा दी जाए और अंग्रेजी को एक विषय के रूप में पढ़ाया जाए | शिक्षक बच्चों के मनोबल को बढ़ाएं | उन्हें आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाएं | उन्हें बताएं कि जीवन की विषम परिस्थितियों में संकट काल में कैसे लड़ा जाए | स्कूलों को तनावमुक्त वातावरण में बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उनमें मैथमेटिक्स थिंकिंग, साइंटिफिक थिंकिंग और लाइफ साइंस की प्रतिभा विकसित हो सके, बचपन में ऐसा विचार, निर्भरता और स्वाभिमान का भाव उनमें भरा जाएगा तो आगे चलकर वे वैसा ही बनेंगे | प्रधानमंत्री जी ने सही कहा कि भागलपुर में सिल्क जैसी अनेक प्रोडक्शन हॉउस है | जहां बच्चों को जाकर उस तकनीक का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए | नई शिक्षा नीति में इस बात पर बल दिया गया है कि समस्याओं को बच्चे कैसे सुलझाएं ? सबसे अधिक प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस, व्यवहार कुशलता पर जोर दिया गया है |
अचार्य सुदर्शन ने कहा कि आज साइंस के बच्चे इतिहास, भूगोल एवं समाज के रीति रिवाज नहीं जानते | वह केवल विषय जानते हैं | आर्ट्स वाले साइंस और कॉमर्स के विषय में कुछ नहीं जानते | यह अपूर्ण शिक्षा है इन्हें पूर्ण शिक्षा तभी मिलेगी जब अपने ज्ञान को व्यावहारिक ज्ञान बनाएंगे | शिक्षा का तो अर्थ ही है जो सब कुछ का ज्ञान करा दे | इसलिए उसे सर्वांगीण शिक्षा कहा जाता है |
अचार्य सुदर्शन ने माननीय प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देते हुए कहा कि आज तक देश में जितनी भी शिक्षा पद्धतियां बनी थी वे इसलिए विफल होती गई कि वह सभी सैद्धांतिक शिक्षा थी | देश में पहली बार व्यावहारिक शिक्षा की घोषणा हुई है | अब शिक्षा विभाग का दायित्व है कि वह स्कूलों के लिए उपयोगी विधियों की घोषणा करें ताकि पुरे देश के स्कूलों में एक जैसे शिक्षा लागू हो सके | इस नई शिक्षा नीति से पूरे देश के शिक्षाविद प्रसन्न होंगे ऐसी आशा है |
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