कानपुर कई दिनों से शहर से गायब महामंडलेश्वर जितेंद्र दास शनिवार को सीधे डीएम के यहाँ प्रगट हुए और डीएम से मुलाकात कर नवगठित ट्रस्ट पर सवाल उठाते हुए ट्रस्ट और ट्रस्टियों के संपत्ति की जांच की मांग की। उन्होंने माना कि वह नारायणा विद्यापीठ की बैठक में गए थे और उपस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर किया था / जितेंद्र दास ने कहा कि अखिल भारतीय श्रीपंच दिगम्बर अनि अखाड़ा के संत ही फैसला कराएंगे। दूसरा कोई भी अखाड़ा यहां का फैसला कराने में सक्षम ही नहीं है। जितेंद्र दास ने संघ के प्रांतीय स्तर से पदाधिकारियों से भी मुलाकात कर यथास्थिति से अवगत कराया।
डीएम को दिए गए पत्र में कहा है कि मंदिर की व्यवस्था दो ब्रह्मचारी महंतों की देखरेख में स्थापना के समय से चल रही है। ब्रह्मचारी, वैरागी संत यहां महंत नियुक्त किए गए हैं। महंत रमाकांत दास ने बालक दास को भी 1977 में महंत घोषित किया था। कृष्णदास को साकेतनगर के एक कार्यक्रम में 2015 में षड़यंत्र कर महंत रमाकांत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया गया। जितेंद्र दास का कहना है कि महंत रमाकांत दास के देह त्यागने के बाद से नया ट्रस्ट खड़ा कर दिया गया है। यह ट्रस्ट मान्य नहीं है। कृष्णदास गृहस्थ है। उन्होंने नए ट्रस्ट में शामिल व्यक्तियों की संपत्ति की जांच की मांग उठाई है। जितेंद्र दास ने डीएम को दिए गए पत्र की प्रतिलिपि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को भेजी है। उधर, बालक दास ने भी डीएम को सौंपे पत्र में नए ट्रस्टियों की जांच करने की मांग की है।


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