धीरज गुप्ता गया से ।
गया,आयुक्त, मगध प्रमण्डल, असंगबा चुबा आओ की अध्यक्षता में टिड्डियों के संभावित हमलों से बचाव को लेकर एलर्ट किये गये मगध प्रमण्डल के दो जिले गया एवं औरंगाबाद में टिड्डियों की निगरानी एवं नियंत्रण के लिये की गई तैयारियों पर समीक्षा बैठक आहूत किया गया है इस बैठक में संयुक्त निदेशक शष्य, मगध प्रमण्डल, गया आभांषु सी॰ जैन, उप निदेशक, पौधा संरक्षण, मुकेश कुमार, उप निदेशक, रसायन, मिट्टी जाॅच, जीवकान्त झा, उप निदेशक, उद्यान, राकेश कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, गया अशोक कुमार सिन्हा, कृषि विज्ञान केन्द्र, मानपुर गया के प्रधान वैज्ञानिक डा॰ राजीव सिंह, पौधा संरक्षण निरीक्षक,गया संजय कुमार, पशुपालन विभाग के पशुचिकित्सक एवं स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक ने भागीदारी की।
आयुक्त महोदय ने कहा कि टिड्डियों की निगरानी एवं नियंत्रण के लिये ऐसे क्षेत्र जहाॅ उनके हमले की संभावना ज्यादा है, उनको चिह्नित करना चाहिये एवं इन्हीं क्षेत्रों के किसानों को अच्छे से जागरुक करने के लिये प्रसार कार्यकर्ताओं को दायित्व दिया जाय। क्योंकि टिड्डियाॅ हरी वनस्पतियों को खाकर नुकसान पहुॅचाती हैं इसलिये जहाॅ फसल लगी हो, जहाॅ सब्जियों की खेती हो रही है, उन क्षेत्रों में विशेष निगरानी की जाय। साथ ही टिड्डियाॅ बलुई इलाकों में प्रजनन कर अण्डे दे सकतीं हैं, इसलिये नदियों के किनारों एवं सूखी नदियों के क्षेत्रों में भी विशेष निगरानी की आवश्यकता है, जिससे टिड्डियाॅ प्रजनन कर अण्डे नहीं देने पायें। उन्होंने गया जिला एवं औरंगाबाद जिले में टिड्डियों से बचाव के लिए चलाए जा रहे जागरूकता रथों को भीड़भाड़ वाले क्षेत्र एवं नदी के किनारे वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से प्रचार-प्रसार कराने का निर्देश दिया, ताकि काफी संख्या में लोग जागरूक हो सकें। उन्होने संयुक्त निदेशक को निदेश दिया कि गया जिले के दक्षिणी हिस्से में वन क्षेत्र हैं जहाॅ किसानों की संख्या भी कम है वन क्षेत्रों को टिड्डियों से नुकसान नहीं हो सके इसलिये वन विभाग के पदाधिकारियों से भी समन्वय बनाकर रखा जाय। उन्होनें टिड्डियों के नियंत्रण के लिये रसायनिक कीटनाषकों के छिड़काव के बाद मारे गये टिड्डियों को डिस्पोज करने के तरीकों एवं कीटनाशकों के छिड़काव से होने वाले बुरे प्रभावों से स्थानीय नागरिकों एवं पशुओं को बचाने के तरीकों पर विचार करने का निदेश दिया गया हैउप निदेशक, पौधा संरक्षण ने बताया कि टिड्डियों की निगरानी एवं नियंत्रण के लिये गया में 219 एवं औरंगाबाद में 82 ग्राम रक्षा दल गठित किये गये हैं, गया में 48 एवं औरंगाबाद में 12 स्थानों पर टिड्डियों के हमलों से बचाव एवं खेत में उनको उतरने से रोकने के लिये मॉक ड्रिल किये गये हैं। टिड्डियों के दल पर छिड़काव के लिये गया में 869 लीटर एवं औरंगाबाद में 700 लीटर अनुशंसित कीटनाशकों की उपलब्धता है। गया में 28 अग्निशमन वाहन, 25 ट्रैक्टर एवं 277 पावर स्प्रेयर को तथा औरंगाबाद में 20 अग्निशमन वाहन, 20 ट्रैक्टर एवं 2500 पावर स्प्रेयर को कीटनाशकों के छिड़काव के लिये चिन्हित किया गया है। *प्रमण्डल के सभी जिलों में टिड्डी निगरानी एवं नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है एवं पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है।* गया में संजय कुमार 9905666528, औरंगाबाद में मो॰ जावेद आलम 9308104048, जहानाबाद में सतेन्द्र कुमार 9470020919, नवादा में अशोक कुमार 9576488000 एवं अरवल में राजीव कुमार रजक 9123153552 नियंत्रण कक्ष का प्रभारी नियुक्त किया है। दिनांक 11.06.2020 को टिड्डी दल को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के विभिन्न हिस्सों में देखा गया है।आज के बैठक में बताया गया कि वर्ष 1993 मैं भी कम मात्रा में टिड्डियों का ग्रुप आया है। और इस वर्ष भी आने की संभावना है। आयुक्त द्वारा बताया गया कि ताली बजाने एवं बर्तन बजाने से संबंधित क्षेत्र से चिड़ियों का झुंड भाग जाएगा, बल्कि दूसरे खेतों में वह जा सकता है। गया जिला का अधिकांश अंश जंगली क्षेत्र वन विभाग का पड़ता है। यदि टिड्डियों का झुंड खेतों से होकर जंगलों में चले जाएंगे तो वह जंगल को बर्बाद कर देंगे और इसके बचाव को लेकर सभी पदाधिकारी को माइक्रोप्लान तैयार करने को कहा है। किसानों को टिड्डियों को मारने के लिये कितनी मात्रा में कैमिकल प्रयोग करना है, इसकी जानकारी सभी किसानों को दिया जाए। इसके उपरांत अन्य बिंदुओं पर विस्तृत दिशा निर्देश दिए गए हैं।




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