-------------------------------------------------------------------------*डाॅ॰ प्रेम कुमार*
----------------------------------(दिनांक 11.04.2020)-----------------------------------------------
आज दिनांक 11.04.2020 को डाॅ॰ प्रेम कुमार, माननीय मंत्री, कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार ने समाहरणालय गया से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य के सभी 38 जिलों योजना के परियोजना निदेशक, आत्मा, गया के साथ बैठक की। बैठक में पटना से अपर सचिव-सह-राज्य नोडल पदाधिकारी, आत्मा योजना श्री विजय कुमार एवं निदेषक, बामेती, बिहार श्री जितेन्द्र प्रसाद भी जुड़कर आत्मा अन्तर्गत संचालित योजनाओं जिसमें केन्द्र, राज्य योजना के साथ कौषल विकास योजना, किसान चैपाल योजना, डीलरों के प्रषिक्षण कार्यक्रम देषी योजना सम्मिलित है की समीक्षा की गई।
समीक्षा में मुख्य रुप से भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्य, उपलब्ध कराया गया आवंटन, भौतिक एवं वित्तीय उपलब्धि के साथ व्यय की गई राषि की जानकारी ली गई। कई जिलों में जैसे खगडि़या, सीतामढ़ी, सिवान, औरंगाबाद एवं पटना में कम राषि व्यय होने पर माननीय मंत्री ने नाराजगी जताई एवं उन पर विभागीय कार्रवाई करने के निर्देष दिये। परियोजना निदेषक, आत्मा, गया ने बताया कि उन्हें 3 करोड 87 लाख 45 हजार 48 रुपये प्राप्त हुये थे जिसमें से 2 करोड 18 लाख 99 हजार 72 रुपये खर्च हुये जो 56.52 प्रतिषत है।
माननीय मंत्री ने कहा कोरोना वैष्विक महामारी के कारण जारी लाॅक डाउन में देष की विभिन्न प्रदेषों से बिहार के मजदूर एवं किसान बिहार वापस आये है। ये अपने घरों में है एवं इनके सामने रोजगार की समस्या बनी हुई है। इसके साथ ही यह भी देखने में मिल रहा है कि किसानों द्वारा उत्पादित सब्जी एवं फल की बिक्री घट गई है। ऐसे में यदि आत्मा अन्तर्गत गठित कृषक हित समूहों, महिला महिला खाद्य सुरक्षा समूहों एवं फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के किसानों को प्रोत्साहित कर उन्हें सरप्लस सब्जी एवं फल के मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण के लिये तैयार किया जाय तो राज्य में उत्पन्न इस बेरोजगारी की समस्या का एक स्थायी समाधान निकाला जा सकता है। माननीय मंत्री ने सभी परियोजना निदेषक आत्मा को उनके अधीन प्रखण्डों में काम करने वाले प्रखण्ड तकनीकी प्रबन्धक एवं सहायक तकनीकी प्रबन्धक के माध्यम से इस काम को कराने का निर्देष दिया। माननीय मंत्री ने कहा कि ये प्रसार कर्मी विभिन्न सोषल मीडिया प्लेटफार्म का जैसे व्हाट्स एैप, फेसबुक का उपयोग करके अपने प्रखण्ड में बनाये गये समूहों के किसानों को उनके सरप्लस उत्पाद से अचार, प्यूरी, चिप्स, पापड़, जैम, जेली या सब्जियों को सूखाकर डिब्बाबंद करना, मसरुम को सुखाकर डिब्बा बंद करना, शहद की पैकेजिंग, सब्जी बीज उत्पादन आदि कार्य सिखा सकते हैं।
परियोजना निदेषक, आत्मा सभी बी टी एम एवं ए टी एम की समीक्षा करके उनके द्वारा कितने किसानों को किन किन विषयों का प्रषिक्षण दिया गया है एवं तकनीकी जानकारी दी गई है का प्रविवेदन तैयार करके राज्य नोडल पदाधिकारी को उपलब्ध करायेंगे। राज्य नोडल पदाधिकारी इस प्रतिवेदन को समेकित कर सचिव कृषि विभाग के माध्यम से माननीय मंत्री को उपलब्ध करायेंगें। उन्होने कहा कि राज्य सरकार के उद्यान विभाग के पास उद्यानिक उत्पाद विकास योजना अन्तर्गत छोटे प्रसंस्रण ईकाई स्थापित करने की राषि भी उपलब्ध है। जिसमें किसानों को दस लाख रुपये तक की परियोजना लगाने में सहयोग किया जा सकता है। साथ ही उद्यान विभाग प्रसंस्कृत उत्पादों के विपणन की व्यवस्था भी सुनिष्चित करायेगा।


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