तुलसीदास रचित श्रीरामचरित मानस आज विश्व का प्रसिद्ध ग्रंथ है- स्वामी आगमानंद
नवगछिया (भागलपुर)। गोस्वामी तुलसीदास जी महान संत थे। जिन्होंने भारतीय सभ्यता संस्कृति की रक्षा भी की थी। उनके द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस आज विश्व का प्रसिद्ध ग्रंथ है। जिसका अनुवाद कई भाषाओं में किया गया है। लोग इसकी जितनी आलोचना करते हैं, उतनी ही इसकी महत्ता बढ़ती जाती है। ये उद्गार हैं श्रीशिवशक्ति योगपीठ के पीठाधीश्वर रामचंद्रचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के।
सावन शुक्ल सप्तमी के मौके पर बुधवार को स्थानीय श्रीशिवशक्ति योगपीठ में परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के सानिध्य में श्रीरामचरितमानस प्रणेता गोस्वामी श्री तुलसीदास जी की जयंती समारोह पूर्वक मनायी गई। इस दौरान सामूहिक रूद्राभिषेक एवं भजन, सत्संग का भी कार्यक्रम आयोजित हुआ।
इस जयंती समारोह में मानस कोकिला श्रीमती कृष्णा मिश्रा, डॉ रामप्रिय शर्मा, डा नृपेन्द्र वर्मा, विद्यावाचस्पति आमोद मिश्र, डॉ० ज्योतीन्द्र चौधरी, प्रो० आलोक चौबे, कवि राजकुमार जी, डॉ हिमांशु मोहन मिश्र 'दीपक' एवं अन्य विद्वान, संत, मनीषी, विचारकगण शामिल हुए तथा अपने अपने विचार व्यक्त किए।
इसी मौके पर रामचंद्रचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने बताया कि सावन में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। भगवान शिव की आराधना जल और बेलपत्र इत्यादि अर्पित करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। इस अवसर पर श्रीशिवशक्ति योगपीठ आश्रम में 35 जोड़ों द्वारा सामूहिक रुद्राभिषेक किया
गया।


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