कलाकारों ने थिएटर से लेकर टेलीविजन तक के अपने सफर के बारे में बताया......

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कलाकारों ने थिएटर से लेकर टेलीविजन तक के अपने सफर के बारे में बताया......


संवादाता - शाहिद आलम 

वल्र्ड थिएटर डे हर साल 27 मार्च को मनाया जाता है। इस मौके पर एण्डटीवी के शोज के कलाकारों ने थिएटर के लिये अपने प्यार और थिएटर से टेलीविजन तक के अपने सफर के बारे में बात की। इन कलाकारों में शामिल हैं अथर्व (‘एक महानायक- डाॅ. बी. आर. आम्बेडकर‘ के भीमराव), नेहा जोशी (‘दूसरी माँ’ की यशोदा), कामना पाठक (‘हप्पू की उलटन पलटन’ की राजेश) और आसिफ शेख (‘भाबीजी घर पर हैं‘ के विभूति नारायण मिश्रा)। ‘एक महानायक- डाॅ. बी. आर. आम्बेडकर‘ में भीमराव की भूमिका निभा रहे अथर्व ने कहा, ‘‘ मेरे अभिनय कौशल को निखारने थिएटर का बहुत बड़ा योगदान है। थिएटर से मिली सीख ने एण्डटीवी के ‘एक महानायक- डाॅ. बी. आर. आम्बेडकर’ में भीमराव की भूमिका निभाने जैसा जिन्दगी में एक बार मिलने वाला मौका पाने में मेरी मदद की है। मैं साढ़े तीन साल का था, जब मैंने पहली बार मंच पर प्रस्तुति दी थी। मंच पर होने का अनुभव बेहतरीन था और उसने मेरे एक्टिंग कॅरियर की नींव रखी। इससे मेरा मौखिक संवाद बेहतर हुआ, मुझे कई लोगों के सामने बोलने का आत्मविश्वास मिला, मैंने अपने भीतर की घबराहट नहीं दिखाते हुए परफाॅर्म करना सीखा और एक्टिंग के लिये मेरे जुनून को आगे बढ़ाने का भरोसा भी मुझे थिएटर से ही मिला।’’


‘दूसरी माँ‘ की यशोदा, यानि नेहा जोशी ने कहा, ‘‘मेरे माता-पिता थिएटर कलाकार हैं। बचपन के दिनों से ही, मैंने न सिर्फ उन्हें मंच पर परफाॅर्म करते देखा, बल्कि एक्टिंग के बारे में उनसे बहुत कुछ सीखा भी। मैंने मराठी स्टेज ड्रामा ‘क्षण एक पुरे’ के साथ अपना कॅरियर शुरू किया था और बाद में मुझे एक टेलीविजन शो और फिर फिल्में मिलीं। थिएटर ने अच्छा एक्टर बनने के लिये मुझे बहुत कुछ सिखाया। मैं अब भी थिएटर वर्कशाॅप्स करती हूँ, क्योंकि मेरा मानना है कि अगर आप एक्टर के तौर पर बढ़ना चाहते हो, तो आपको थिएटर से जुड़े रहना चाहिये। यह अभिनय कौशल को सीखने और उन्हें एक्स्प्लोर करने का सबसे बढ़िया माध्यम है।’’ ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की राजेश, यानि कामना पाठक ने कहा, ‘‘मैंने स्टेज पर पहली बार तब परफाॅर्म किया था, जब मैं पाँच साल की थी। थिएटर से मैंने जो सबक सीखे हैं, वह हमेशा मेरे साथ रहेंगे। थिएटर में रीटेक नहीं होते हैं। चाहे आप छोटी गलतियाँ करें, तब भी आपको घबराहट से उभरकर शो जारी रखना होता है। मेरी राय में, थिएटर में महारथ हासिल करना मुश्किल होता है। इसमें दर्शकों के साथ सीधे जुड़ाव बनता है और तुरंत प्रतिक्रिया मिलती है। और इस तरह एक्टर के रूप में आपमें आत्मविश्वास आता है।’’ ‘भाबीजी घर पर हैं‘ के विभूति नारायण मिश्रा, यानि आसिफ शेख ने कहा, ‘‘थिएटर हमेशा से मेरा पहला प्यार रहा है। एक्टिंग के लिये मेरे जुनून को जगाने में इसका बड़ा योगदान रहा है और इस तरह मुझे एक मजबूत आधार भी मिला। थिएटर के अपने शुरूआती दिनों में, मैंने कई नाटकों में काम किया और बड़ी-बड़ी हस्तियों से सीखा। मैं बाॅलीवुड और टेलीविजन में व्यस्त हो गया, लेकिन मैंने थिएटर को नहीं छोड़ा। कुछ महीने पहले मुझे अपने सबसे पुराने नाटकों में से एक, ‘हम दीवाने हम परवाने’ में काम करने का मौका मिला था। मैंने सात साल बाद थिएटर में परफाॅर्म करने के लिये वापसी की थी। मुझे सपोर्ट करने के लिये मेरा परिवार वहाँ था और मुझे खुशी हुई कि मेरे बच्चे दर्शकों के बीच बैठकर मुझे देख रहे थे। वह मेरे लिये वाकई गर्व का पल था।’’

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