विरासत के बोल कार्यक्रम में लगे चित्र शिल्प और फोटो प्रदर्शनी में कलाकारों ने देश की विभिन्न संस्कृतियों की झलक प्रस्तुत की। वरिष्ठ छायाकार शशि शंकर ने बिहुला विषहरी छऊ के मुखोटे, गंगा आरती, भागलपुरी तसर सिल्क, मंदार पर्वत, ईद की नमाज, मोहर्रम का जुलूस कृष्ण भक्ति में डूबे विदेशी छायाचित्र द्वारा भारत के विभिन्न को एक ही जगह प्रस्तुत कर दिया। वहीं दूसरी ओर डॉक्टर पी वी मिश्रा के जल रंगों के चित्रों में प्रकृति के विभिन्न रूपों लोगों को दूर से ही अपनी ओर आकर्षित कर लिया। जल रंग के साथ-साथ एक्रिलिक रंग से बने दृश्य चित्रण ने भी अपनी मोहक छटा बिखेरी। दूसरी ओर कला केंद्र के वर्तमान और पूर्व छात्रों द्वारा दैनिक जीवन से जुड़े कई चित्र बनाए गए थे। पैर रंग पी नाइन, चाय की प्याली बेचते दुकानदार, पानी भरती पन भरनी, बोल बम, किसान पोट्रेट ने भी दर्शकों को अपनी ओर आकृष्ट किया। ज्योति सिंह, कृषिका, नेहा ब्यूटी शशांकी आदि के जल रंगों के चित्रों ने अपनी खूबसूरती बिखेरी। वहीं मृदुला सिंह के मंजूषा पेंटिंग ने दूर से ही लोगों को अपनी और आने को विवश कर दिया। बाला लखंदर चांदो सौदागर, बिहुला का वैधव्य,, नाव यात्रा, शिव और विषहरी इन के प्रमुख चित्र थे।


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