आज दिनांक 26 नवंबर 2022 को संविधान दिवस के अवसर पर गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र भागलपुर में लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान, गंगा मुक्ति आंदोलन, झुग्गी झोपड़ी संघर्ष समिति, दलित विकास समिति के संयुक्त तत्वावधान में "संविधान बचाओ सम्मेलन" का आयोजन हुआ। विषय प्रवेश कराते हुए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता रामशरण ने कहा कि भारत के संविधान का निर्माण जिस मूल भावना के तहत किया गया था उसे आज खंडित करने की कोशिश हो रही है। इसलिए हम सभी विभिन्न विचारधारा मानने वाले लोगों को एक साथ संविधान को बचाने की कोशिश करनी होगी। अध्यक्षता करते हुए अंबेडकर विचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रोफेसर विलक्षण रविदास ने कहा कि आज संविधान पर चौतरफा हमला हो रहा है। संविधान की मूल आत्मा- समता, बंधुता और सब के लिए न्याय की भावना को नष्ट किया जा रहा है। मुख्य वक्ता हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ प्रो योगेंद्र ने कहा कि आज संविधान और सत्ता में बैठे लोगों के बीच द्वंद है। संविधान आम लोगों की रक्षा के लिए बना है पर सत्ता आम लोगों के अधिकारों को कुचलने का काम कर रही है। संचालन करते हुए उदय ने कहा कि हमें यह सोचने समझने की जरूरत है कि संविधान पर खतरा क्या है और किससे है? हमारा संविधान आजादी आंदोलन के मूल्य के साथ-साथ समता और बराबरी के सांस्कृतिक आंदोलन के बीज से निकले हैं। जिस तरह निजी क्षेत्र को बढ़ावा देकर समाजवाद की अवधारणा को खंडित किया जा रहा है ठीक उसी तरह जो गणराज्य की भावना है उसे भी खंडित करने की कोशिश हो रही है। आज जो नारा दिया जा रहा है "एक निशान एक संविधान" यह भारत के गणराज्य की अवधारणा पर हमला है। मुकेश मुक्त ने अपनी बात रखत्ए हुए कहा कि आज संविधान पर खतरा स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा है। कोर्ट द्वारा बिलकिस बानो के बलात्कारियों को छोड़ने की घटना इसके सबूत है। श्रम कानून में भी तब्दीली करके नियोक्ता मालिक को छूट देने की तैयारी हो रही है, इससे मजदूरों का शोषण और बढ़ जाएगा। जिस कानून को गरीबों, वंचितों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया था उसी कानून में तब्दीली कर मजदूरों वंचितों के खिलाफ इस्तेमाल करने की साजिश चल रही है। मनोज मीता ने कहा कि राम रहीम जैसे बलात्कारी को 40 दिनों के लिए पैरोल पर छोड़ा जाता है और वह चुनाव प्रचार में लगा है। कोर्ट चुप है, पार्टी के लोग उनकी आवोभगत में लगी है। यह दर्शाता है कि संविधान को शोषण और सत्ता पाने का औजार बना दिया गया है। निर्मल जी ने अपनी बात में कहा कि क़ानून ने हमें जिस कुरीति व बुराई से छुटकारा का अधिकार दिया है उस क़ानून पर खतरा का अर्थ है हमारे अधिकारों और आत्मसम्मान पर खतरा उत्पन्न होना। एनुल होदा ने कहा कि सम्मान के साथ न्याय पाना हमारा संवैधानिक अधिकार है। देखा जा रहा है कि संविधान को दरकिनार कर आस्था के आधार पर कोर्ट भी अपना निर्णय सुना रहा है यह बहुत ही खतरनाक है। डॉ प्रो अर्जुन यादव ने कहा कि हमारा संविधान लोक कल्याणकारी संविधान है। अर्थात लोगों के कल्याण के लिए योजनाओं, कार्यक्रमों एवं विभागों का संचालन करना राज्य की जिम्मेदारी है। परंतु आज सरकार द्वारा रेवड़ी की बात करके हमारे संविधानिक अधिकार को छीनने की कोशिश हो रही है। संविधान बचाओ सम्मेलन में बड़ी संख्या में शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता और झुग्गी झोपड़ी के लोग शामिल हुए। इस अवसर पर वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता रामशरण, शारदा श्रीवास्तव, प्रकाश चंद्र गुप्ता, हबीब मुर्शिद खां, झुग्गी झोपड़ी संघर्ष समिति के सह संयोजक मो. कासिम, दलित विकास समिति के रामपूजन, गंगा मुक्ति आंदोलन के गौतम कुमार, गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र के संजय कुमार, इकराम हुसैन साद आदि मौजूद थे।


0 comments: