शिशु अकादमी भागलपुर द्वारा बच्चों के टीबी का सटीक ईलाज हेतु कार्यशाला
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आज खंजरपुर स्थित होटल गैलेक्सी होटल में शिशु अकादमी भागलपुर द्वारा नेशनल टूबरकुलोसीस एलिमिनेशन प्रोग्राम केतहत कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सेंट्रल आई ए पी एवम भारत सरकार के सहयोग से देश भर में किया जा रहा है। इसमें देश के अन्य प्रांत से टी बी के विषेशज्ञ आए और इसके विभिन्न पहलुओं पर जानकारी दी। इसमें बच्चों के टीबी बीमारी पर चर्चा हुई। कार्यक्रम का उद्घाटन भागलपुर के सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा ने किया , उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा की भारत में टी बी आज भी बड़ी समस्या है। केंद्र सरकार ने 2024 तक इसे खत्म करने की योजना बनाई है । इसके लिए बच्चों के टीबी पर इस तरह का सेमिनार कर सटीक जानकारी दी जा रही है। डॉ आर के सिंहा ने कहा की बच्चो के टीबी का इलाज बड़ो के तुलना में कई अंतर है इसीलिए इस तरह का कार्यशाला बहुत जरूरी है। वही विशिष्ठ अतिथि के रुप में आए डॉ डी पी सिंह ने कहा की बच्चो में टीबी बड़ो से फैलता है अतः बड़ो के टी बी के ईलाज के साथ बच्चो में टी बी के लक्षणों को देखना आवश्यक है। विशिष्ठ अतिथि के रुप में डॉ आर के सिंहा, डॉ शंभू शंकर सिंह के विभागाध्यक्ष डॉक्टर के के सिंहा , जे एल एन एम सी एच के टीबी चेस्ट के विभागाध्यक्ष डॉ डी पी सिंह, डिस्ट्रिक्ट टी बी ऑफिसर डॉ दीना नाथ वक्ता के रुप में डॉ शिव वचन सिंह डॉ असीम घोष डॉ चंद्रमोहन डॉ अमित कुमार डब्लू एच ओ से डॉ राजीव कुमार थे
इस सेमिनार में मुख्य बातें जो उभर कर आईं की बड़ो के तुलना में बच्चों के टीबी में बिमारी को सौ प्रतिशत कई बार नहीं कहा जा सकता है , एक्स रे माउंटेक्स टेस्ट, ईत्यादि से पूरी तरह से टी बी को निर्धारित नहीं कर सकता है टी बी की पहचान का मुख्य रुप से खखार में टी बी के कीटाणु का पहचान कर के होता है जबकि बच्चों में खखार जांच के लिए नही मिल पाता है उसका जांच पेट से पानी निकाल कर या खांसी को पैदा कर ख खार निकाल कर या स्वांस नली से पानी निकाल कर जांच किया जाता है जो काफी कठिन है। और निकलने पर ही कीटाणु के मिलने की संभावना कम होती है। अतः इसमें यदि कीटाणु नही भी मिले तो क्लीनिकल प्रोबेबल टी बी के रुप में भी टी बी का इलाज भी किया जाता है लेकिन वह भी कब करना है उसके लिए सेंट्रल आई ए पी एवम भारत सरकार द्धारा पैमाना निर्धारित है । सभी बच्चे में सी बी नेट टेस्ट कराना अनिवार्य बताया गया जिससे टीबी ना केवल कन्फर्म हो सके बल्की टी बी की दवाई कही रेसिस्टेंस तो नही है यह भी पता चल सके। इसके आलावा छाती के टी बी एवम अन्य अंग का टीबी में इलाज के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। ड्रग रेसिस्टेंस टी बी , एचआईवी के साथ टीबी इत्यादि के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गई साथ ही टी बी में सराकर के द्वारा रिपोर्टर को, मरीज को उसके सेहत के लिए रकम दिया जाता है उसके बारे भी बताया गाया । इसमें भागलपुर के दर्जनों शिशू रोग विशेषज्ञ सरकारी अस्पताल में कार्यरत चिकित्स्क कुछ जेनरल डॉक्टर भी शामिल हुए। यह कार्यशाला 6घंटे तक चला। कार्यक्रम के उपरांत सबों को प्रमाण पत्र भी दिया गया। कार्यक्रम के संचालक में आई ए पी के भागलपुर इकाई के अध्यक्ष डॉ विनय मिश्रा, सचिव डॉ मिथिलेश मुकुल, साइंटिफिक चेयरमैन डॉ अजय कुमार सिंह एवम ऑर्गनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ सुदर्शन झा थे। इसके अलावा आई ए पी के सभी सदस्यों का सहयोग रहा। कार्यक्रम में मुख्य रुप से डॉ एच पी दुबे,राकेश मिश्रा डॉ राकेश, डॉ पवन यादव डॉ विनय कुमार डॉ कामरान फजल ,जे एल एन एम सी एच के शिशू विभाग के पी जी क्षात्रगण फजल ईत्यादि हुए। मंच संचालन डॉ निवेदिता ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुदर्शन ने किया
:डॉअजय कुमार सिंह
साइंटिफिक चेयरमैन आई ए पी


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