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 50 साल पूरा होने के उपरांत टीएमबीयू के पीजी संस्कृत विभाग ने मनाया स्वर्ण जयंती समारोह।


भागलपुर से शैलेंद्र कुमार गुप्ता की रिपोर्ट



तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के 50 साल पूरे होने के उपरांत में शनिवार को दिनकर परिसर स्थित विभाग में स्वर्ण जयंती समारोह मनाया गया। 

स्वर्ण जयंती समारोह का उदघाटन टीएमबीयू की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने दीप प्रज्वलित कर किया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जेपी विश्वविद्यालय छपरा के कुलपति प्रो. फारूक अली, कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति प्रो. शशि नाथ झा, पूर्व कुलपति प्रो. चन्द्रकान्त शुक्ल उपस्थित थे।

जबकि केएसडीएसयू दरभंगा के पूर्व कुलपति प्रो. देव नारायण झा और बीआरएबीयू मुजफ्फरपुर के प्रो. प्रकाश पाण्डेय कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे।

कार्यक्रम में रांची विश्वविद्यालय सहित कई अन्य विश्वविद्यालयों के भी कुछ शिक्षक पहुंचे थे जो यहां के पूर्ववर्ती छात्र रहे थे।

कार्यक्रम की शुरुआत कुलगीत से हुई। विभाग के छात्र-छात्राओं ने नृत्य और गणेश वंदना की प्रस्तुति दी।  विश्व बन्धु उपाध्याय ने वेद मंत्र पाठ किया। अतिथियों के सम्मान में विभाग की छात्रा पूजा, रूपा और मौसम भारती ने स्वागत गान गाया।

कार्यक्रम का उदघाटन करती हुई टीएमबीयू की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि विश्वविद्यालय का संस्कृत विभाग आज पचास साल का स्वर्णिम सफरनामा पूरा कर लिया है जो टीएमबीयू के लिए हर्ष और गर्व की बात है। विश्वविद्यालय के लिए आज गौरव और प्रसन्नता का दिन है। उन्होंने विभाग के सभी शिक्षकों, कर्मियों और छात्र-छात्राओं को स्वर्ण जयंती समारोह के मौके पर बधाई और शुभकामनाएं दी। साथ ही विभाग के उज्ज्वल भविष्य की कामना भी की। 

कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि संस्कृत एक ऐसा विषय है जो भारत की संस्कृति से गहरे रूप से जुड़ा हुआ है। शादी-ब्याह, मुंडन सहित धार्मिक कर्मकांडों और मौकों पर भी संस्कृत के श्लोक बोले जाते हैं। यह एक लोकप्रिय भाषा है। यह सुखद बात है कि आज भी टीएमबीयू में संस्कृत विभाग जीवंत है। नेशनल एडुकेशन पॉलिसी (एनईपी), नेशनल और सेंट्रल यूनिवर्सिटी का ध्येय भी आज संस्कृत को बढ़ावा देना है। एनईपी भाषायी विषयों को तवज्जो देने के लिए अग्रसर है। उन्होंने कहा कि संस्कृत काफी पुराना विषय और भाषा है। चुनौतियों के बाबजूद भी आज संस्कृत आगे बढ़ रहा है। गुरु पूर्णिमा के मौके पर उन्होंने सबों को बधाई भी दी। वीसी ने कहा कि माँ पहली शिक्षक होती है। गुरु वह है जो हमें किसी भी तरह का ज्ञान देता हो। गुरु वह है जिनसे ज्ञान पाकर हमें महान बनाता है। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जेपी विश्वविद्यालय छपरा के कुलपति प्रो. फारूक अली ने कहा कि संस्कृत रोजगार सृजन करने वाला विषय है। इस विषय की अहमियत आज भी है और आगे भी बना रहेगा। टीएमबीयू के कार्यक्रम में आने पर जेपीयू के वीसी डॉ फारूक अली ने कहा कि मैं अपनी मिट्टी को कभी नहीं भूल सकता हूँ। यहां से उनका गहरा लगाव है। वे इसी मिट्टी में पले-बढ़े हैं। उनका कर्म क्षेत्र भी यहीं रहा है। लिहाजा उन्हें टीएमबीयू से गहरा लगाव और जुड़ाव है।

कुलपति डॉ फारूक अली ने कहा कि संस्कृत ने ही उनके जीवन शैली को बदला है। अपने बचपन के स्कूली शिक्षा को याद करते हुए कहा कि पढ़ने के दौरान संस्कृत के श्लोक ने ही उन्हें काफी कुछ प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि उदार चरित्र वालों के लिए पूरा विश्व साथ में रहता है। हमें अपने विषय के प्रति ईमानदार बनना चाहिए। यदि हम संस्कृत की रोटी खाते हैं तो हमें संस्कृत के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि, संस्कृत से नेट-जेआरएफ और पीएचडी करके कॅरियर बनाया जा सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए विभाग में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स भी चलाया जा सकता है। इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

        कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति प्रो. शशि नाथ झा ने संस्कृत में ही अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि टीएमबीयू ने संस्कृत विषय मे शीर्ष स्थान हासिल किया है। संस्कृत शिक्षा का भविष्य काफी उज्जवल है।

केएसडीएसयू दरभंगा के पूर्व कुलपति प्रो. चन्द्रकान्त शुक्ल ने कहा कि टीएमबीयू का संस्कृत विभाग आज विकास के पथ पर अग्रसर है।

पूर्व कुलपति प्रो. देव नारायण झा ने कहा कि संस्कृत भाषा में देश के विचार, सभ्यता और संस्कृति समाहित है।

     वहीं पीजी संस्कृत विभाग की हेड प्रो. सुलेखा देवी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि संस्कृत विभाग आज पचास वर्ष का हो गया है जो हमारे लिए काफी गर्व की बात है। 12 अप्रैल 1971 को टीएमबीयू में पीजी संस्कृत विभाग की स्थापना हुई थी। अपने स्थापना काल से लेकर अब तक विभाग ने कई ऊंचाइयों को छुआ है। उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत किया।

   मौके पर विभाग द्वारा प्रकाशित पत्रिका अंग ज्योति स्वर्ण जयंती स्मारिका और पीजी संस्कृत की हेड प्रो. सुलेखा देवी के द्वारा लिखी गई कई पुस्तकों का भी लोकार्पण अतिथियों के द्वारा किया गया।

इस अवसर पर टीएमबीयू के पीआरओ डॉ दीपक कुमार दिनकर,  पूर्व हेड प्रो. मोहन मिश्र, प्रो. तुलाकृष्ण झा, प्रो. केषकर ठाकुर, प्रो. नीलिमा, प्रो. मृत्युंजय तिवारी, प्रो. पूर्णेन्दु शेखर सहित संस्कृत विभाग के शिक्षक, कर्मी और छात्र-छात्राएं मौजूद थे। कार्यक्रम में विभाग की छात्राओं ने मनमोहक नृत्य की भी प्रस्तुति दी। साथ ही मंगलगीत, गोपी गीत, कृष्णाष्टकम, गीत गोविंद धीरे समीरे आदि की भी प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित था।

इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत विभाग की ओर से बुके और अंग वस्त्र भेंट कर किया गया। 

कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता सबसे पहले पीजी संस्कृत विभाग पहुँची जहां उन्होंने पीजी संस्कृत विभाग के 50 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में शिलापट्ट का भी अनावरण किया।

यह जानकारी टीएमबीयू के जनसम्पर्क पदाधिकारी डॉ दीपक कुमार दिनकर ने दी।


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