जगत सिंह तोमर
जिला सिरमौर की गिरिपार ख्श-कनैत केंद्रीय समिति द्वारा प्रधान सचिव एवं सह वितीय आयुक्त (राजस्व) शिमला को भेजे एक प्रस्ताव में जिला सिरमौर की 132 ग्राम पंचायतों में रहने वाली प्रमुख 'कनैत' जाती का नाम गैर कानूनी ढंग वर्ष 1955 में राजपूत किए जाने को वर्ष 1931 के बंदोबस्त के अनुरूप राजस्व रिकार्ड को पुनः कनैत जाति दर्ज किए जाने की मांग की है प्रस्ताव की प्रति प्रदेश मुख्य मंत्री जयराम ठाकुर को इस आग्रह के साथ प्रेषित की है कि इस गलत इंद्राज को दुरुस्त करने के लिए आवश्यक व सहानुभूतिपूर्वक कार्यवाही करके न्याय दिलाकर कृतार्थ करे
जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के विकास खण्ड शिलाई की 46, संघड़ा की 41,राजगढ़ की 30,पावँटा साहिब की 15 कुल 132 पंचायतों में यहां की मूल व पमुख जाती कनैत के लोग रहते है जिनका नाम जिला सिरमौर के वर्ष1928-31 के बंदोबस्त रिकार्ड में कनैत जाती के नाम से (अनुलग्नक-1 कुछ गावो की 1949-50 की नकल शजरा नसब)दर्ज था सिरमौर रियासत के वर्ष 1934 के गजेटियर में भी कनैत जाति(अनुलग्नक-2 गजेटियर पृष्ठ संख्या 50-51)उल्लेख के लेकिन वर्ष1955 में सहायक सचिव(राजस्व) ने पत्र संख्या 6-76 दिनांक 24 जुलाई 1955 के तहत गैर कानूनी रूप से कनैत जाति का नाम राजपूत व भाट जाती का नाम ब्राह्मण लिखे जाने का आदेश जारी किया(अनुलग्नक-3 रोजनामचा हिदायती)जिसके पश्चात राजस्व रिकार्ड अधिकतर राजस्व ग्रामो में कनैत जाति का नाम राजपूत दर्ज किया गया जबकि कुछ राजस्व ग्रामो में अभी भी कनैत जाति दर्ज है (अनुलग्नक-4शजरा नसब नोहराधार) भाट-ब्राह्मण कल्याण समिति बनाम हिमाचल प्रदेश सरकार मुकदमा संख्या 905/2000 में उच्च न्यायालय भाट-ब्राह्मण कल्याण समिति द्वारा राजस्व रिकार्ड वर्ष 1949-50 की प्रतियां अदालत के सम्मुख प्रस्तुत की न्यायालय ने उसे सही मानते हुए उनके हक में फैसला सुनाया अनुलग्नक-5 फैसले के पृष्ठ 30-31)बंदोबस्त1931 के रिकार्ड में दर्ज कनैत जाती जिसका उल्लेख1934 के सिरमौर रियासत के गजेटियर में भी है को बिना किसी ठोस आधार के बदलकर राजपूत दर्ज करना न केवल गैर कानूनी है बल्कि असवैंधानिक भी है गिरिपार की 132 पंचायतों में रहने वाली मूल व प्रमुख जाति कनैत जिसका नाम असवैंधानिक ढंग से राजपूत दर्ज किया गया है को बंदोबस्त 1931 के अनुरूप पुनः कनैत जाति दर्ज की जाए व 132 ग्राम पंचायतों की जनता को न्याय दिलाया जाए


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