गया से राजेश मिश्रा की रिपोर्ट
पटना, 15 जुलाई। बिहार सरकार में कृषि एवं पशुपालन मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने विपक्ष को उनकी भूमिका याद दिलाते हुए कहा, "कुछ लोग इस मुश्किल के समय में भी अपनी घटिया राजनीति करने से बाज़ नहीं आ रहे। उनकी इन सब हरकतों से यह साफ़ दिखता है की उन्हें जनता की परवाह नहीं, बस कुर्सी का लोभ है। ऐसी घटिया राजनीति कर के उन्होंने यह साबित कर दिया है की बिहार की उन्नति उनसे देखी नहीं जा रही और वह फिर से जंगलराज को वापस लाना चाह रहे हैं।"
कृषि मंत्री ने विपक्षी नेता तेजस्वी का बिना नाम लिये कहा कि बिहार पर जब भी कोई संकट आया है, तो प्राइवेट लिमिटेड पार्टी के राजकुमार दिल्ली में पाये जाते हैं।
उन्होंने कहा, "दूसरो पर आरोप मढ़ने वाले लोगों की भीड़ हमेशा संकट के समय गायब रहती है। पिछले साल जब बिहार के कई हिस्सों में चमकी बुखार का प्रकोप छाया था तो यह उस समय किस बिल में छिपे थे।मानवता के नाते इन्होंने क्या किया, जवाब बस एक ही है "कुछ नहीं"। जब बिहार बाढ़ की विभीषका झेल रहा था तब यह कहाँ थे और इन्होने सामाजिक तौर पर क्या किया। इसका भी बस एक ही उत्तर है "कुछ नहीं"।"
डॉ प्रेम कुमार ने कहा, "दूसरों पर पत्थर फेंकना बहुत ही आसान है, लेकिन किसी को तिनके का सहारा देकर डूबने से बचाना उतना ही मुश्किल। एनडीए के लोग और भाजपा के कार्यकर्ता वही कर रहे हैं। सेवाकार्य के दौरान हो हमारे कई लोग बीमार भी पड़े हैं, पर भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए सेवा का कोई वक़्त नहीं।"
मंत्री ने कहा, 'अभी विपक्षियों का जमावड़ा बस इसलिए लगा हुआ है क्यूंकि विधानसभा चुनाव नजदीक है और इन्हें वह कुर्सी चाहिए जिसे यह अपने परिवार की संपत्ति समझते आ रहे हैं। अगर चुनाव आसपास ना होता तो यह ढूंढने से भी कहीं नहीं मिलते। कितनी अजीब बात है की वे लोग जो एक उंगली हम पर उठा रहे हैं, क्यों भूल जाते हैं कि बाकी की चार उँगलियाँ उनके तरफ भी हैं। ये पब्लिक है, सब जानती है, कि किसके मन में चोर बसा है और किसके मन में जन सेवा"।
डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि बिहार अभी एक महामारी से जंग में है, जनता का हाथ सरकार के साथ है और हम इस महामारी को आसानी से मात दें देंगे। मुझे यह बताने की जरुरत नहीं कि एनडीए की सरकार हमेशा आम लोगों के साथ हैं। हम तब भी साथ थे, जब चमकी बुखार से बिहार तप रहा था, हम तब भी थे जब बाढ़ ने कितने ही भाइयों के सर की छत को खत्म कर दिया और हम आज भी साथ हैं जब कोरोना के प्रकोप से बिहार घिरा है। हम चुनाव की तारीख देखकर अपना रंग नहीं बदलते बल्कि हमारा रंग बस एक ही है और वह है प्रगति का रंग।"


0 comments: