अजय कुमार पांडे
औरंगाबाद: ( बिहार ) बिहार सरकार के पूर्व मंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ0 सुरेश पासवान ने कहा है कि बिहार में कोरोना महामारी बाढ़ की तरह अपना रौद्र रूप दिखाने लगी है। प्रति दिन मरीजों की संख्या बेतहाशा बढ़ रहे हैं। बिहार सरकार केंद्रीय टीम के सुझावों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया। नीतीश कुमार और सुशील मोदी यमराज बन कर लाशों के ढेर पर चुनाव कराने पर अमादा है! , जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। मैंने अपने राजनीतिक जीवन में इस तरह की असंवेदनशीलता कभी नहीं देखी थी,की बिहार के लोग एक तरफ बाढ़ तो दुसरे तरफ़ कोरोना से बचाव के लिए सरकार से जान की भीख मांग रहे हैं और सरकार कह रही हो कि मैं अभी वर्चुअल चुनावी रैली में व्यस्त हूं। लोग कोरोना से संक्रमित होकर इलाज के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे हों और अस्पताल, प्रशासन कह रहा हो कि मैं तो लाचार हूं क्योंकि मेरे पास जरुरी संसाधन नहीं है। आज बिहार के स्वास्थ्य महकमे की हालत बद से बद्तर है और अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए बिहार सरकार कभी स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को हटाती हैं तो कभी एन0 एम0 सी0 एच0 के अधीक्षक को हटाकर अपनी पीठ थपथपाती है।
कोविड अस्पतालों में कई - कई दिनों तक कोरोना से मृत व्यक्ती का लाश तक उठाने वाला कोई नहीं रहता है! परिजन लाश के अंतिम संस्कार के लिए बिलबिलाते रहते हैं! लेकिन ये सरकार की अंतरात्मा मर चुकी होती है कि अंतिम संस्कार के लिए प्रोटोकॉल के तहत परिजनों के उपस्थिति में दाह संस्कार तो करवा दिया जाए। परंतु ऐसा नहीं हो रहा है! ।चार महीने से ज्यादा दिनों से विहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी अपने - अपने आलीशान बंगले में सो रहे हैं! एक बार भी पटना के कोविड अस्पतालों में जाकर देखने का काम नहीं किया कि किस हालात में अस्पताल प्रशासन कार्य कर रहे हैं। जब ऐसे मुश्किल वक्त में सरकार अपने - अपने घरो में छुप जाए? तो यह कहना ग़लत नहीं होगा कि "जो सरकार निकम्मी है? वह सरकार बदलनी है?
डॉ0 पासवान ने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्री जी बड़ी हिम्मत कर के सिर्फ पटना के दो अस्पतालों में पी0पी0ई0 कीट पहन कर फोटो खिंचवाने से काम नहीं चलने वाला है। अगर थोड़ी बहुत भी बिहार के लोगों के प्रति दर्द है? तो सरकारी अस्पतालों में संसाधनों को बढ़ाने का काम किया जाना चाहिए ताकि राज्य के लोगों को कुछ राहत मिल सके और सुशील मोदी को तो चुल्लू भर पानी में डुब मरना चाहिए? कि "हसुंआ के बिबाह" में "खुरपी का गीत" गाते रहते हैं। यानी लालू चालीसा का पाठ करने से आपको बिहार की जनता माफ करने वाली नहीं है और सुशासन बाबू नीतीश कुमार जी आपने सच साबित कर दिया कि"रोम जल रहा था और नीरो बंसी बजा रहा था"। यानी चार महीने से ज्यादा हो गया! आप एक अन्ने मार्ग से बाहर निकल कर देखा नहीं की आपकी जनता किस हालात में है।
आई एनएन न्यूज़ से बिहार झारखंड स्टेट हेड शिव शंकर झा के औरंगाबाद से अजय पांडे की रिपोर्ट


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