21 जून को आषाण अमावस्या पर लगने वाला कंकणाकृति खण्डग्रास सूर्य ग्रहण 900 साल बाद लगा है। यह ग्रहण रविवार को लग रहा है ।इसलिए इसे चूणामणि ग्रहण कहा जा रहा है। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण है। इससे पहले 5 जून को चंद्र ग्रहण लग चुका है।धार्मिक दृष्टि से यह सूर्य ग्रहण काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह चंद्र ग्रहण के कुछ दिन बाद पड़ रहा है।ऐसा कहा जा रहा है कि एक ही महीने में दो ग्रहण लगने की स्थिति सही नहीं है। सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले से ही शुरू हो जाएगा। ग्रहण को अशुभकाल माना जाता है।कहते हैं कि सूर्य ग्रहण के दौरान धरती पर बुरी शक्तियों का प्रभाव बढ़ जाता है ।इसलिए ग्रहणकाल के समय तुलसी का प्रयोग घर की शुद्धि करने में मदद की जाती है।मान्यता है कि तुलसी के प्रयोग होने से ग्रहण के बाद आई सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।

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