गया से राजेश मिश्रा की रिपोर्ट
आज दिनांक 18 जून 2020 को अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष मो•साजिद हुसैन ने गया जिलाधिकारी एवं सिविल सिविल सर्जन को पत्र लिखकर जानकारी दिए कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में फार्मासिस्ट की बहाली वर्ष 2015 में लिखित परीक्षा के माध्यम से हुई थी,जिसमें फार्मासिस्ट के साथ -साथ आयुष चिकित्सक और ए.एन.एम का बहाली एक ही एक ही विज्ञापन के
माध्यम से हुआ था ।बहाली के समय आयुष चिकित्सको का मानदेय 20000,फार्मासिस्ट का 12000
और ए.एन.एम का 11500 था । पर वर्तमान कोविड-19 के समय सिर्फ आयुष चिकित्सकों का मानदेय
20000 से बढाकर 44000 कर दिया गया जबकि फार्मासिस्ट और ए.एन.एम के मानदेय पर कोई विचार
नहीं किया गया ।
ज्ञात हो कि इसके लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के फार्मासिस्ट और ए.एन.एम विगत कई वर्षों से विभाग से वेतन विसंगति को दूर करने के लिए कई बार आग्रह करते आ रहे हैं । इसके लिए माननीय उच्च न्यायालय से भी एक आदेश पारित हुआ जिसमें हम सभी आर.बी.एस.के फार्मासिस्ट को सक्षम पदाधिकारी के पास अपने वेतन विसंगति के बात को रखने के लिए कहा गया, जिसके आलोक में कई बार विभाग को ज्ञापन दिया गया पर विभाग द्वारा अभी तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया ।
सरकार के साथ इस कोविड-19 के आपातस्थिति में भी फार्मासिस्ट अपने वेतन विसंगति को
भुला कर अग्रिम पंक्ति में खड़ा होकर ईमानदारीपूर्वक अपना कर्त्तव्य निभाते चले आ रहे है, इससे पहले भी प्रत्येक इमरजेंसी ड्यूटी में तथा राज्य में आए भीषण बाढ़ आपदा मे भी हर वक्त सरकार के साथ अग्रिम पंक्ति में खड़े रहते हैं
परंतु अब भी सरकार के द्वारा वेतन वेतन विसंगति को दूर नहीं किया जा रहा है।
विदित हो कि सरकार और विभाग के इस भेदभाव नीति के कारण फार्मासिस्ट और ए.एन.एम मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे है ।जिसके कारण
आर.बी.एस.के फार्मासिस्ट और एएनएम आगामी 15 जून से अपने अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए होम क्वॉरेंटाइन पर जाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय का अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन समर्थन करता है । इस बीच अगर किसी भी कार्य में असुविधा होती है तो इसका जिम्मेवार सरकार और स्वास्थ्य विभाग होगा
जो वेतन विसंगति को बार-बार आग्रह के बाद भी दूर नहीं किया गया।


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