एण्डटीवी पर इस हफ्ते नाॅन-स्टाॅप एन्टरटेनमेंट का आनंद उठाईये!
संवाददाता - शाहिद आलम
इस हफ्ते एण्डटीवी के ‘भीमा‘, ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ और ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में तैयार हो जाइए कुछ चैंकाने वाले कहानियों का आनंद उठाने के लिए! हालांकि, हर पल कुछ नया होगा, लेकिन एक चीज़ जिसकी गारंटी है -वह है नाॅन-स्टाॅप एन्टरटेनमेंट।
‘भीमा‘
एण्डटीवी के ‘भीमा‘ में इस हफ्ते एक दमदार मोड़ आने वाला है, जब भीमा (तेजस्विनी सिंह) खोई हुई इज्ज़त वापस पाने की कसम खाती है और गांव की असली समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाती है। अपनी संवेदनशीलता और हिम्मत के साथ वह एक-एक करके लोगों की समस्याएं सुलझाने लगती है, जिससे गांववालों का भरोसा धीरे-धीरे वापस लौटने लगता है। लेकिन उसकी बढ़ती लोकप्रियता पुरानी सत्ता को खटकने लगती है। कलिका सिंह (मयंक मिश्रा) और उसके गुंडे भीमा की झोपड़ी में आग लगा देते हैं, लेकिन यह हमला कुछ ऐसा कर जाता है जिसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी। जाति से बंटे गांववाले पहली बार एकजुट होकर भीमा के साथ खड़े हो जाते हैं। भीमा भी पीछे नहीं हटती और वह पूरे गांव के सामने खड़ी होकर सवाल उठाती है कि अन्याय देखकर भी सब चुप क्यों रहे। उसकी बेबाक बातें जातिवाद की नींव को हिला देती हैं। जहां एक ओर कैलाशा बुआ (नीता मोहिन्द्रा) और कलिका सिंह भीमा के आरोपों का मज़ाक उड़ाते हैं और उन्हें झूठा साबित करने की कोशिश करते हैं, वहीं भीमा की निडरता और डटकर सामना करने की हिम्मत दूसरों के भीतर भी साहस की चिंगारी जगा देती है। अपनी मां धनिया और बाबासाहेब आम्बेडकर के दर्शन से प्रेरित भीमा राशन घोटाले की परतें खोलने लगती है। हाथ में न्याय का प्रतीक तराजू लेकर जब वह आगे बढ़ती है, तो बिंदिया खुद को उपेक्षित महसूस करने लगती है और भीमा की राह में अड़चनें डालने लगती है। इसी बीच, एक चैंकाने वाला मोड़ आता है, जब कैलाशा बुआ फूल लेकर भीमा का स्वागत करती है। तनाव बढ़ जाता है जब कैलाशा गांववालों को उसके द्वारा अतीत में की गई मदद की याद दिलाकर उनका दिल जीतने की कोशिश करती है। गांववाले थोड़ी देर के लिए भ्रमित हो जाते हैं, लेकिन भीमा डटकर खड़ी रहती है। सारकास्टिक विशंभर (विक्रम द्विवेदी) कैलाशा बुआ की तंज भरी सच्चाई सबके सामने लाता है। भीमा जनता के सामने एक जबर्दस्त खुलासा करने की तैयारी करती है। भीमा गांववालों को जमा कर एक ब्लैकबोर्ड पर राशन का पूरा हिसाब-किताब दिखाती है, और कैलाशा बुआ की तथाकथित दरियादिली को उजागर करती है। सम्मान बनाए रखते हुए लेकिन मजबूती से, भीमा शोषण की परतें खोलती है, और गांववालों को आईना दिखाती है -वो कड़वा सच जिसे सभी ने अब तक अनदेखा किया था।
‘हप्पू की उलटन पलटन‘
अवधेशिया (उर्मिला शर्मा) का चैंकाने वाला बदला रूप देखकर पूरा परिवार हैरान रह जाता है। सभी की नजरें मिलती हैं और सवाल उठते हैं-क्या उन्होंने गब्बर (साहेब दास माणिकपुरी) से सुलह कर ली है? क्या वो फिर से उनसे मिलने जा रही हैं? लेकिन कहानी में असली ट्विस्ट तब आता है जब हप्पू (योगेश त्रिपाठी) और बेनी (विश्वनाथ चटर्जी) छोले-कुलचे खाते वक्त गब्बर को नाले में बेहोश पड़ा हुआ देखते हैं! अब सवाल ये उठता है कि अगर ससुरजी यहां हैं, तो अवधेशिया कहां हैं? फिर आता है कमिश्नर (किशोर भानुशाली), जो बताता है कि गब्बर की पत्नी उन्हें एक बाबा के लिए छोड़ चुकी थी, लेकिन अब उसकी ज़िंदगी में कोई नया और शानदार इंसान आ चुका है। इधर हप्पू और बेनी अवधेशिया की बातों से और भी ज्यादा शक में आ जाते हैं। जब अवधेशिया एक टेढ़ा-मेढ़ा जवाब देती हैं, तो दोनों राजेश (गीतांजलि मिश्रा) को सारी बात बताते हैं, लेकिन राजेश सबूत के बिना किसी बात पर यकीन करने से मना कर देती हैं। अगले दिन हप्पू और बेनी अवधेशिया का पीछा करते हैं और उन्हें बगीचे में कमिश्नर के साथ देख लेते हैं। वे दौड़कर राजेश को बताते हैं, लेकिन बिना सबूत के राजेश फिर नहीं मानती। हप्पू और कटोरी अम्मा (हिमानी शिवपुरी) गब्बर को घर ले आते हैं, लेकिन अवधेशिया गुस्से में उन्हें फिर से भगा देती हैं।
राजेश अब भी अड़ी रहती हैं-न सबूत, न इल्ज़ाम। अगले दिन हप्पू और बेनी एक वीडियो रिकॉर्ड कर लेते हैं, लेकिन बदकिस्मती से फोन चोरी हो जाता है। राजेश फिर से उन्हें डांट लगाती हैं। जल्दी ही हप्पू और बेनी एक योजना बनाते हैं। दोनों कमिश्नर को शराब पिलाकर उसकी पूरी सच्चाई रिकॉर्ड कर लेते हैं और वीडियो राजेश को दिखाते हैं। राजेश हैरान रह जाती है।
उसी समय, अवधेशिया अपना जन्मदिन मनाने की घोषणा करती हैं। राजेश एक शर्त रखती है कि कमिश्नर पार्टी में नहीं आएगा। हप्पू और बेनी उसे रोकने के लिए फर्जी फोन कॉल करते हैं, यहां तक कि मनोहर (नितिन जाधव) को औरत बनाकर भेजते हैं! लेकिन कुछ भी काम नहीं करता। पार्टी शुरू होती है और गब्बर के साथ कमिश्नर भी आ जाता है। दोनों कई बार सच्चाई उजागर करने की कोशिश करते हैं, लेकिन हर बार बात उलटी पड़ जाती है। फिर आता है असली ट्विस्ट, जिसमें अवधेशिया ऐलान करती है कि वो यूरोप ट्रिप पर जा रही है! राजेश हैरान रह जाती हैं। वो तुरंत गब्बर को फोन करती हैं, जो गुस्से में अवधेशिया से जवाब मांगता है। अब आगे क्या होगा?
‘भाबीजी घर पर हैं‘
विभूति नारायण मिश्रा (आसिफ शेख) अब परेशानियों और तानों से तंग आ चुके हैं। हर तरफ से ताने, उलाहने और बेइज्ज़ती सहने के बाद, अब सब्र का बांध टूटने को है। तभी उसकी मुलाकात एक लेखक से होती है, जो उसे एक अनोखी सलाह देता है कि “गुस्से से जवाब देने के बजाय, उन भावनाओं को लेखन में ढालो! विभूति को यह आइडिया पसंद आता है और वह एक सीक्रेट डायरी लिखना शुरू कर देता है। वह हर ताने और अपमान को उस डायरी में लिखने लगता है, लेकिन नामों को थोड़ा घुमा-फिराकर, ताकि सब फिक्शन लगे। जब लोग उससे पूछते हैं, तो वह कहता है कि “नॉवेल लिख रहा हूं!” उधर तिवारी जी (रोहिताश्व गौड़) की हालत भी खराब है। अम्माजी (सोमा राठौड़) से जोरदार बहस के बाद वो गुस्से में हैं, और अम्माजी तो और भी तमतमा रही हैं। उन्हें खुश करने के लिए मॉडर्न कॉलोनी के लोग एक रंगारंग पार्टी का आयोजन करते हैं। इधर टीका (वैभव माथुर) और टिल्लू (सलीम जैदी) भी कम नहीं हैं। वह वायरल रील बनाने के चक्कर में एक भिखारी को भी शामिल कर लेते हैं, ताकि “रियल इमोशन” आ सके। लेकिन या तो डोनर फ्रेम से बाहर हो जाता है या भिखारी! नतीजा उनकी सारी रील्स फेल हो जाती हैं। उधर मिश्रा निवास पर विभूति की ‘नॉवेल‘ को लेकर सबके मन में जिज्ञासा बढ़ती जा रही है। अनीता (विदिशा श्रीवास्तव), सच्चाई जानने के लिए चाचा (अनूप उपाध्याय) के साथ मिलकर एक चाल चलती हैं और विभूति को घर से बाहर भेज देती हैं। लेकिन तभी अंगूरी (शुभांगी अत्रे) आ जाती हैं, डायरी देखती है और चुपचाप उठा लेती है। अंगूरी सोचती है कि रात को तिवारी के सो जाने के बाद डायरी पढेगी। लेकिन तभी तिवारी आवाज़ लगाते हैं और घबरा कर वह डायरी खिड़की से बाहर फेंक देती है। अब कहानी एक मज़ेदार मोड लेती है!
वहां से एक गुजर रहा एक पब्लिशर उस डायरी को उठाता है, पढ़ता है और उसे इतना पसंद आता है कि उसे छपवा देता है।
किताब के छपने के बाद पूरी मॉडर्न कॉलोनी सदमे में है! हर किरदार किताब में है, बस नाम थोड़े बदले हुए हैं, लेकिन हर कोई पहचान रहा है खुद को। सब गुस्से में आ जाते हैं। सक्सेना (सानंद वर्मा) सलाह देता है कि उन्हें “डिफेमेशन केस कर देना चाहिये। इधर विभूति को जब किताब के छपने की खबर मिलती है, तो वो भेष बदलकर पब्लिशर के पास पेंमेंट मांगने जाता है। लेकिन सक्सेना चैलेंज करता है कि वह ही असली लेखक है यह साबित करे। अब आता है मास्टरस्ट्रोक! विभूति कलाकारों के एक झुंड के साथ लौटता है, जो कॉलोनी के फिक्शनल किरदारों जैसे कपड़े पहन कर आते हैं। वो सबको यक़ीन दिला देता है कि किताब के किरदार असल में इन लोगों से प्रेरित हैं, और कॉलोनी के लोगों का इससे कोई लेना-देना नहीं है। सक्सेना मान जाता है और केस खत्म हो जाता है। विभूति अब अपनी मेहनत की कमाई लेने को तैयार हैं। लेकिन जैसे ही पैसा मिलने वाला होता है, पब्लिशर कहता है कि कंपनी एक बड़ा कानूनी केस हारने के बाद दिवालिया हो गई है।
देखिये ‘भीमा‘ रात 8ः30 बजे, ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ रात 10ः00 बजे और ‘भाबीजी घर पर हैं‘ रात 10ः30 बजे, सिर्फ एण्डटीवी पर!




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