प्र
जापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय भागलपुर शाखा के सभागार में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का कार्यक्रम मनाया गया। इस अवसर पर भागलपुर शाखा की संचालिका राजयोगिनी अनीता दीदी जी ने श्री कृष्ण जयंती के आध्यात्मिक रहस्य को बताई - श्री कृष्ण जयंती आज के युग में सिर्फ मना लेना पर्याप्त नहीं बल्कि उनके द्वारा किए गए महान कर्मों के बारे में गहराई से चिंतन करने की आवश्यकता है। उनके बाल लीलाओं तथा प्रत्येक कर्मों की आध्यात्मिक व्याख्या मनुष्य के लिए एक संदेश है । श्री कृष्ण का जन्म केवल एक साधारण मनुष्य जन्म के समान नहीं है , उनकी मानवी कल्याणकारी संदेशों का प्रेरणा मिलता है। कहा जाता है जब श्री कृष्ण का जन्म होते ही अंधकार में प्रकाश फैल गया था , सभी तले बंद पड़े हुए थे , वह भी ताले खुल गया । यमुना नदी में जल का स्तर में उफान हो रहा था लेकिन वह भी श्री कृष्ण के चरण स्पर्श से ही शांत हो गया । अगर चिंतन करें तो सबका आध्यात्मिक रहस्य है । इसका तात्पर्य है कि जब मानव को आत्म की स्मृति आती है तो मन के अंधकार समाप्त हो जाती है , ताले खुल गया इसका आध्यात्मिक रहस्य है कि हम लोगों के संस्कारों में जो बंधन है , विचारों में एक दूसरे के प्रति जो गांठ पड़े हुए हैं ,वह संस्कारों के बंधन खुल जाय । यमुना नदी के जल स्तर का रहस्य है कि परमात्मा की ज्ञान के संपर्क में आने पर आत्मा की मन में जो डर, भय, मन की अशांति, द्वेष , विचारों में द्वंद आदि जो हैं , वह सभी समाप्त हो जाते हैं । मनुष्य के अंदर व्याप्त काम ,क्रोध , लोभ , मोह , अहंकार सब समाप्त हो जाते हैं । जब आत्मज्ञान व परमात्मा का सत्य पहचान हो जाता है । श्री कृष्ण जयंती पर यही ईश्वरी संदेश है कि श्री कृष्ण के अंदर जो मूल्य और विशेषताएं हैं उनको अपने जीवन में उतारने का प्रयास किया जाए और गीता में वर्णित मनुष्य के अंदर छिपे शत्रुओं का नाश करें । तभी छोटी-मोटी बातों के लिए जो मन के नकारात्मक आपसी द्वेष , नफरत को समाप्त कर सकेंगे । तभी श्री कृष्ण जन्म का पर्व सार्थक हो जाएगा ।
इस अवसर पर बी के मनोज भाई ने श्री कृष्ण के गुणों का वर्णन करते हुए बताई कि श्री कृष्ण सर्वगुण संपन्न, 16 कला संपूर्ण, संपूर्ण निर्विकार , मर्यादा पुरुषोत्तम , अहिंसा परमो धर्म थे । वह जो पावन है , जो मनभावन है , जो सबका मनमोहन है
जन्माष्टमी श्री कृष्ण के अवतरण दिवस पर आप सबको बहुत-बहुत हार्दिक बधाई है ।
सभी लोग श्रीकृष्ण को जिस रूप में देखना चाहते हैं , उसे उस रूप में ही प्राप्ति होती है । अगर शाखा के रूप में कहें तो वह भी एक अद्भुत सखा है जो कि श्री कृष्ण और सुदामा जी का सखा रूप उदाहरण है। वह कुशल
शासक है, वह युद्ध में एक कुशल संचालक भी है। उनके जीवन के प्रत्येक लीला मानव को प्रेरणा देने का कार्य करता है । इसीलिए हर मानव यह चाहता है पुत्र हो तो कृष्ण के जैसा , शाखा हो तो कृष्ण के जैसा , पति हो तो कृष्ण के जैसा , राजा हो तो कृष्ण के जैसा , तात्पर्य है मानव जीवन में विषम परिस्थिति में भी वह प्रेरणा का श्रोत है। अपनी मनमोहक , अपनी आकर्षक , अपने दिव्यता , पवित्रता , अलौकिक शक्ति के कारण वह कलयुग में भी सबका प्रिय है और सतयुग का प्रथम राजकुमार है।
झांकी में प्राची, एंजेल, मुकुल , राधिका ने अपनी भूमिका निभाई।
लीलादत्ता के द्वारा बाल लीलाओं को दृश्य प्रस्तुत किया गया।
मंच का संचालन बी के रूपाली ने किया।
इस अवसर पर बी के प्रवीण भाई ने मधुर संगीत प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर बी के मनीषा, बी के अनिल, राजेंद्र, संतोष , महेश, गोपाल अनेकों भाई बहन शामिल हुए।
ओम शांति।


0 comments: