देशी दवाखाना के प्रांगण में महामारी रूप में फैले वायरल फीवर डेंगू के उपर वैद्य देवेंद्र कुमार गुप्त की अध्यक्षता में नेचुरोपैथी दृष्टि से डेंगू विषयक गोष्ठी आयोजित की गई। मुख्य अतिथि डॉ सुबलचंद्र पाठक तथा विशिष्ट अतिथि डॉ रतन लाल मिश्रा मंचासीन थे। मंच संचालन डॉ जयंत ने किया।
विषय प्रवेश अंतर्गत डॉ जयंत ने बताया कि वायरल फीवर डेंगू मादा मच्छर के काटने पर होता है। इसे प्राकृतिक चिकित्सक हड्डी तोड़ बुखार का नाम देते हैं। क्योंकि इस बुखार में रोगी का अंग प्रत्यंग टूटता दर्द की असहनीय पीड़ा से ग्रसित रहता है। मुख्य अतिथि डॉ सुबलचंद्र पाठक ने लक्षणों पर चर्चा करते बताया कि इसमें तेज बुखार, जी मिचलाना, नजर धुंधलापन, चक्कर आना, भूख की कमी,थकान ,सर एवं पेट में दर्द आदि लगता है।विशिष्ट अतिथि डॉ रतन लाल मिश्रा ने कहा कि इस बुखार में पूरे आराम एवं अधिक से अधिक जल सेवन आवश्यक है।जल को उबालकर ठंडा करके सेवन करना चाहिए।अध्यक्षीय संबोधन में वैद्य देवेन्द्र कुमार गुप्त ने कहा की डेंगू के फैलाव को रोकने हेतु जल का जमाव , नमी का विस्तार होने पर रोक लगाने की जरूरत है। मच्छरदानी का प्रयोग जरूरी है। खान-पान में फलों का रस,हरी शाक सब्जियों का सूप, तुलसी पत्ता,नीम पत्ती का काढ़ा, गिलोय का काढ़ा ,पपीता पत्ते के रस का सेवन आदि आवश्यक है। उन्होंने शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत किए जाने पर बल दिया।अपने अनुभव एवं प्रयोग के आधार पर गोविंद सिंह ने कहा की हरसिंगार के पत्ते का रस व काढ़ा का सेवन भी परम उपयोगी हैं।
डॉ महेंद्र शर्मा ने वैद्य परामर्श के आधार पर त्रिभुवन कृति रस, स्फटिक भस्म , तालिशादि चूर्ण के सेवन की सलाह दी। डॉ लाल बहादुर शर्मा एवं डॉ दिलबहार राय ने भी अपने विचार रखे। धन्यवाद ज्ञापन मिथिलेश ने किया। मौके पर सुरेंद्र सिंह,अरविंद, वैद्य श्री मती लीला गुप्ता एवं अन्य की उपस्थिति रही।


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