प्रेस विज्ञप्ति, गत दस दिनों से विजयादशमी तक गंगा धाम, मंदरोजा में लगातार चल रहे प्राकृतिक चिकित्सा शिविर सह अखंड संकीर्तन पाठ के पावन मौके पर आज "अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस" पर एक गोष्ठी का आयोजन भी संपन्न हुआ| सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक सहित महिलाओं के आध्यात्मिक शक्ति संवर्द्धन की आवश्यकता पर बल देते अध्यदीप संबोधन में डाक्टर जयन्त जलद ने कहा कि नारियों का आध्यात्मिक चरित्र ही लक्षमीबाई अहिल्याबाई जैसे वीर सशक्त बेटियां देश को देने में समर्थवान हो सकती हैं| समाज सेवी सुबोध मंडल ने कहा कि आज बच्चियों के नैसर्गिक गुणों का अपहरण हो रहा है| बेटियों का नाम देवियों के नाम रखा जाता है किंतु नाम सा व्यक्तित्व की कमी खलती है|वैधय देवेन्द्र कुमार गुप्त ने कहा कि आज जरूरत है कि बालिकाओं में माँ दुर्गा के नौ रूपों में निहित नौ गुणों इच्छा शक्ति, लदयभेद क्षमता, वीरता, तेज, ममता, जिज्ञासा, शौर्य, संयम तथा दाता का समाहन जरूरी है|इस पर ही सशक्त महिला तथा सशक्त समाज की कल्पना की जा सकती है| वैधय श्रीमती लीला गुप्ता, श्रीमती रंजना देवी, श्रीमती गुड़िया वर्मा, रशिम सिन्हा आदि ने देवी भजन, प्रार्थना आदि प्रस्तुत कर आयोजन को सफल कर दिया| इस अवसर पर श्रीमती गुड़िया वर्मा, रशिम शवेता, डाक्टर रतनलाल मिश्रा, गोविन्द सिंह, जे, शर्मा, उत्तम सिन्हा, राजिव सिन्हा, सुरेन्द्र सिंह आदि उपस्थित थे|संकीर्तन की अखंडता को नागेश्वर मंडल, महेश मंडल एवं मास्टर सदानंद की टीम बनाए रख रहे हैं|

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