आज दिनांक 11अक्टूबर 2021 को जेपी जयंती के अवसर कला केंद्र के शिक्षकों एवं छात्रों द्वारा चित्र की प्रदर्शनी और नाटक का प्रदर्शन हुआ । सर्व प्रथम जेपी को स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई । जय प्रकाश नारायण ने सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान किया था । सांस्कृतिक क्रांति सम्पूर्ण क्रांति का अहम हिस्सा है । कुछ लोग समाजिक और सांस्कृतिक क्रांति को एक साथ जोड़कर देखते हैं तो कुछ अलग अलग । आज सांस्कृतिक नजीरिये में व्यापक बदलाव ( क्रांति ) की जरूरत है । धर्म और संस्कृति बिल्कुल अलग अलग हैं ,एक नहीं । प्राचीनता और धर्म के नाम पर सब कुछ अच्छा नहीं है । धर्म ,राजनीति या अर्थ केंद्रित संस्कृति नहीं अपसंस्कृति होती है संस्कृति तो केवल मानव केंद्रित होता है ; समता ,न्याय और स्वतंत्रता केंद्रित । मनुष्य मात्र की संस्कृति एक होती है । पूरी दुनिया में लगभग आधी आबादी महिलाओं की है । इसके बावजूद कमोबेश महिलाओं की स्थिति दोयम दर्जे की ही है । आज महिलाएं बराबरी के लिए संघर्ष कर रही है । जब-जब भी जहां पर अशांति, हिंसा का वातावरण रहा है तब -तब वहां सबसे अधिक बालिकाएं और महिलाएं पीड़ित हुई है। इसलिए बराबरी के साथ शांति और भाईचारा भी जरूरी है । जेपी आंदोलन के क्रम में कला और साहित्य बंद कमरे से बाहर नुक्कड़ों पर आया । नुक्कड़ नाटक ,गीत ,कविता गोष्ठी ,चित्र और पोस्टर प्रदर्शनी की परम्परा बन गई । इस अवसर पर कला शिक्षक उमेश प्रसाद, राजीव कुमार सिंह राहुल, अभिषेक तिवारी, शशांकी, मुस्कान, दीपशिखा भारती, कृति, लता, शालू गणेशन आदि द्वारा बने लगे पेंटिंग्स ने दर्शकों को काफी आकर्षित किया । "स्त्री शक्ति" पर केंद्रित चित्र प्रदर्शनी में उमेश प्रसाद ने महिला के कर्मठ रूप को रक्त रंगों के प्रयोग द्वारा उसकी ताकत को प्रदर्शित किया । चित्रकार राहुल ने रंगों के माध्यम से महिला के विभिन्न रूपों को अपने पेंटिंग में उतारा । वही अभिषेक तिवारी, शशांकी, दीपशिखा भारती, कृति, शालू गणेशन आदि ने अपने चित्रों में स्त्रियों की जीविषा, आगे बढ़ने की उत्कट इच्छा और सामाजिक बेड़ियाँ तोड़ने के संकल्प को चित्रित किया । सुरभि विप्लव लिखित और सुभाष देव निर्देशित नाटक कहां गये गांधी में लाडली राज, दीप प्रिया, कोमल, मुस्कान, डॉली, लल्लन, अमन चौधरी, सार्थक भरत, सूरज आदि ने अपने अभिनय से दर्शकों को जोड़े रखा । संगीत प्रशिक्षक विनय कुमार भारती के संयोजन में कई जन गीतों, ग़ज़लों की प्रस्तुति हुई ।

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