पंडित श्री कमलेश मिश्र ने आने वाले नवरात्र पर जानकारी देते हुए कहा की शारदीय नवरात्र जिसका इंतजार पूरे साल माता के भक्तों को रहता है वह आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि है। जिस दिन माता अपने दिव्य लोक से पृथ्वी पर आती हैं वह इस वर्ष 7 अक्टूबर को है। 7 अक्टूबर 2021 को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को माता पृथ्वी पर आएंगी और नवरात्र का आरंभ हो जाएगा। इस वर्ष नवरात्रि का आरंभ गुरुवार से होने जा रहा है और नवरात्रि का समापन शुक्रवार 15 अक्टूबर को होने जा रहा है। ऐसे में इस साल नवरात्रि में 8 दिन की पूजा और नवें दिन विसर्जन का योग बना है क्योंकि षष्ठी तिथि का क्षय हो गया है।नवरात्रि में माता के वाहन का भी बड़ा महत्व रहा है। ज्योतिषी इससे आने वाले साल का फलकथन करते हैं और अनुमान लगाते हैं कि अगला एक साल आपका कैसा रहेगा। इस विषय देवी भागवत पुराण में एक श्लोक में बताया गया है कि – शशि सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च डोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता। गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे। नौकायां सर्वसिद्धि स्यात डोलायां मरण ध्रुवम्। इस श्लोक से स्पष्ट है कि गुरुवार को नवरात्रि आरंभ होने के कारण इस बार माता डोली में आ रही हैं। डोली में माता का आगमन देश दुनिया और आमजनों के लिए शुभ नहीं माना जाता है। माता के डोली में आगमन से पृथ्वी के कई हिस्सों में बड़ी राजनीतिक हलचल होगी। भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में जन धन की हानि होने की आशंका रहेगी।राजनीतिक मामलों में बात करें तो माता के डोली में आगमन से सत्ता में बड़ा उथल-पुथल देखने को मिल सकता है। कई दिग्गज नेताओं की सत्ता जा सकती है। माता के डोली में आगमन से ऐसा भी माना जाता है कि किसी रोग और महामारी का प्रकोप बढ़ सकता है।माता का वहन इस बार शुभ फल की ओर संकेत नहीं दे रहा है ऐसे में रोग, परेशानियों से मुक्ति के लिए नवरात्रि में श्रद्धा भाव से माता की उपासना करें और नियमित कवच, कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ करके यथा संभव – रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् । त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।। इस मंत्र का जप किया करें।


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