पत्रकारिता कितना जोखिम भरा काम है खुद एक बड़ी खबर है
पत्रकारिता कितना जोखिम भरा काम है खुद एक बड़ी खबर है
पत्रकारिता कितना जोखिम भरा काम है पत्रकार खुद सबसे बड़ी खबर है लेकिन दुनिया उसके दर्द से बेखबर है वो किसी अखबार की सुखी नहीं बनता वो दूसरों को सुखियो में लाता है खुद भुखा रहता है बुखे के लिए खबर लिखता है खुद दुखों में रहता है हर दुखी को खबर में जगह देता है खुद प्यासा हैं हर प्यासे का सहारा है हर घटना पर सबसे पहले जाता है हर दंगे में खुद को घुटता पाता है खुद कोई बया दे नहीं पाता दूसरों के बयानों को दिखाता है खुद सवाल उठाता है कईयों के कटघरे में लाता है और खुद को एक वक्त पर स्वयं कटघरे में खड़ा आता है कोई बैंक कोई सरकार उसे लोन नहीं देती बीवी बच्चों मां बाप को कहीं घुमा नहीं पाता है माल के महंगे कपड़े और रेस्टोरेंट में जाने से कतराते हैं पूरा दिन खबर की तलाश में बिताता है शाम को जब होता है परिवार संग बिताने का समय तो वह मुस्तैदी से दफ्तर पहुंच जाता है दिनभर तलाश की गई खबर को ओर धारदार बनाता है
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की सभी पत्रकार मित्रों को बधाई पत्रकारों को लिखने खबर दिखाने की आजादी हमेशा बनी रहे यही शुभकामना है
मुज़फ़्फ़रपुर से मोहम्मद आरीफ अंसारी की रिपोर्ट


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