पटना की पहचान हैं अज़ीम शायर शाद ।" साहित्यकार प्रभात कु. धवन
कहीं ग़ुम ना हो जाएं शाद की स्मृतियाँ।" : डा. ध्रुव कुमार
शाद के नाम पर खुले शोध केंद्र व पुस्तकालय ,नई नस्ल उन्हें जान पाएं: अनिल रश्मि .
पटना सिटी :युवा शायर नेक आलम नें शाद की शायरी का किया पाठ.
विश्व पटल पर विख्यात शायर शाद अज़ीमाबादी की स्मृतियाँ कहीं ग़ुम ना हों जाएं , सरकार व सामाजिक संगठनों को इसे सहेजने व संरक्षित करने हेतु अविलंब पहल करने की आवश्यकता है । उनके लिए खुले आज हृदय - द्वार कल बंद हो गए....?तो शाद जमींदोज हो जाएंगे ..यह गहरी चिंता शाद को अतीव चाहने बाले सहित्यकार व फ़नकार ने व्यक्त की है। ये बातें मानस पथ स्थित स्वराँजलि सभागार में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद व शाद प्रेमी डा. ध्रुव कुमार नें कहीं कार्यक्रम क़ा उदघाटन साहित्यकार प्रभात धवन नें कहा " पटना की पहचान हैं शाद अज़ीमाबादी . उनके नाम पर कुछ भी ना होना उनकी उपेक्षा है , जो न्यायसंगत नहीं है ।
संयोजक अनिल रश्मि नें कहा उनके प्रति सच्ची श्रधांजलि तभी होगी जब राज्य सरकार उनके नाम पर शोध केंद्र व पुस्तकालय खोले ताकि नई नस्ल अपने अज़ीम शायर शाद को जान सकें। सिर्फ़ 7 जनवरी औऱ 8 जनवरी को उनके नाम पर खानापूर्ति क्यों .......?
घर घर में हो शाद की गूंज.।
विद्यालय , महाविद्यालय गूंजे शाद की शायरी से. शादमय हो हिंदुस्तान युवा शायर नेक आलम ने शाद की शायरी क़ा पाठ किया : "अगर किसी की बुराई भी
दिल में आई " शाद "
हमें तो अपनी ही नीयत से
ख़ुद हिजाब आया ।
दिल किधर खिंचा हुआ ,
महव है किसकी याद में
क्या कहें इसकी वजह हम
तर्क हुई नमाज क्यों ...पढ़कर
उनकी याद को तरोताज़ा कर दिया . डा. ध्रुव कुमार नें ....
"देखा किए वो मस्त निगाहों से बारबार जब तक शराब आए कई दौर हो गए बचा के हाथ अलग - से - अलग सुबू लेते क्या मजाल कि साकी क़ा हाथ छू लेते . पढ़ा .प्रभात कुमार धवन नें.हज़ार शुक्र की मुद्दत में यह असर आया लिया जो नाम तेरा , दिल में तु उतर आया यही है धुन कि तेरी जलवागाह में जाकर हज़ार आँखे हों औऱ सबसे यार को देखें .पढ़कर महफ़िल को रंगीन बना दिया प्रारंभ में शाद के तैल चित्र पर फूल ,मालाएं अर्पित की गईं.
मौके़ पर डा. दिलिप कुमार , राजा पुट्टु , डा. करुणा निधि , रोहन कुमार ,नितिन कुमार वर्मा ,सुनीता रानी मौजदू थीं।.


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