बिहार सरकार के आदेशों का अवहेलना।
आखिर अधिकारी क्यों नहीं मानते मुख्यमंत्री के बात हो रही परेशानी जनता के साथ।
जनता को दिए गए समय सीमा के अंदर नही हो रहा है कोई भी कार्य इसके लिए कौन है जिम्मेदार।
सनोवर खान ब्यूरो रिपोर्ट
पटना :इन दिनों बिहार सरकार के द्वारा चलाये जा रहे कोई भी योजनाओं का नहीं हो रहा है सही ढंग से उपयोग और नहीं हो पा रहा है समय सीमा अंतराल के अंतर्गत कोई भी कार्य आखिर इसका जिम्मेदार कौन जिला अंतर्गत जिला प्रशासन यह फिर राज्य अंतर्गत उस विभागों के सचिब जिस विभाग का कार्य हो?
बिहार सरकार के अंतर्गत बनाया गया समय सीमा में मनमानी क्यों। सूबे के सरकार के द्वारा कहा गया था कि कोई भी आवेदन जैसे दाखिल खारिज, एलपीसी ,जमाबंदी ,जन्म प्रमाण पत्र ,मृत्यु प्रमाण पत्र, जाति ,आवासीय ,आय प्रमाण पत्र, समय सीमा के अंतराल में ही मिलेगा। लेकिन आये दिन देखा जाता है कि कोई भी उपरोक्त लिखे प्रमाण पत्र समय सीमा के पहुँच से बाहर दिखाई देता है।
क्या इन सब मामलों का खबर आला अधिकारी को रहता है या नहीं?
यह फिर कार्यपालक सहायक से लेकर क्लर्क तक ही छोड़ दिया जाता है।
सूत्रों की मानो तो ऐसा नही है समय सीमा के अंतराल में कार्य नही होने की जानकारी सभी पदाधिकारी को होता है। लेकिन आज तक किसी भी पदाधिकारी को सरकार की ओर से या फिर आला अधिकारी के ओर से कोई भी संबंधित पदाधिकारी पर करवाई की गई क्या? आर्थिक दंड दिया गया क्या? मासिक वेतन से दंड के रूप में वेतन कटौती की गई क्या,?
जबकि सरकार की ओर से सभी जगह सभी कार्य के अनुसार निगरानी के रूप में टीम गठित की गई है लेकिन जिला प्रशासन इस पर नजर अंदाज कर क्यों बैठे रहते है।
अंचल अधिकारी ,प्रखंड विकास पदाधिकारी ,डीसीएलआर, एसी, जिलाधिकारी पदाधिकारी को इस सब की जानकारी होती है लेकिन आज तक करवाई शून्य।
मुख्यमंत्री कौन होते हैं , देखने बाले।
अपने विभाग के मालिक हम ख़ुद
हम अपनी मर्जी से काम करेंगे ..।
सरकार के द्वारा तय सीमा को हम
क्यों मानें ..? जनता जहाँ जाना
चाहती है ,जाए ।
** मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता
ये हाल लगभग सभी विभागों का है,
सरकार को बदनाम करने की साजिश
* मुख्यमंत्री स्तर से इसकी निगरानी होनी चाहिए औऱ सम्बन्धित पदाधिकारी के ख़िलाफ़ जो समय सीमा के तहत कार्य नहीं करतें उनपर विभागीय कार्यवाई के साथ क़ानूनी कारवाई भी हो ,ताकि कार्य -संस्कृति
में बदलाव हो सके .लेकिन ऐसा नही होता है कार्य नही होने के स्थिति में संबंधित अधिकारियों को तबादला का शिकार बनाया जाता है यह फिर उन वैसे मजबूर कॉन्ट्रैक्ट कर्मी कर्मचारी कार्यपालक सहायक को निशाना बनाया जाता है। आखिर ऐसा कब तक चलता रहेगा। क्या कभी सरकार के द्वारा आला अधिकारियों पर निशाना बनाया गया है।

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