1. नीति की प्रभावी अवधि को वर्तमान से अगले 5 बर्षो के लिए बढ़ाकर 31.03.2025 तक कर दिया गया है।
2. नीति अंतर्गत प्राथमिकता कोटि में निम्न अतिरिक्त प्रक्षेत्रों को समावेशीत किया गया हैः- ड्राई वेयरहाउस,
कोल्ड चेन, बोटलिंग इकाईयाँ (खाद्य प्रसंस्करण प्रक्षेत्र में), टिसु कल्चर लैब्स एवं क्राप केयर केमिकल इकाईयाँ, गैर कृषिसंयंत्र (लघु यंत्र विनिर्माण प्रक्षेत्र मे), इलेक्ट्रॉनिक जेनरेटर, ट्रांसफार्मर एवं विद्युत वितरण तथा कंट्रोल उपकरण का विनिर्माण, इलेक्ट्रॉनिक लाइटिंग उपकरण का विनिर्माण (सूचना प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाऐं तथा इलेक्ट्रॉनिकल और इलेक्ट्रोनिक हार्डवेयर विनिर्माण प्रक्षेत्र में ), फ्लाई ऐश बि्रक्स, एएसी ब्लौक, ऑटो मोबाईल, रक्षा उपकरण विनिर्माण, आभूषण, खेल-कुद सामग्री (सामान्य विनिर्माण उद्योग प्रक्षेत्र में)।
3. नीति अंतर्गत उच्च-प्राथमिकता कोटि में निम्न अतिरिक्त प्रक्षेत्रों को समावेश्िात किया गया हैः- दोपहिया और तिपहिया ई-रिक्शा का विनिर्माण ( ई-वाहन विनिर्माण प्रक्षेत्र में ), इथनाॅल उत्पादन, दाल प्रसंस्करण इकाईया, मसाला एवं जड़ी बूटी प्रसंस्करण (खाद्य प्रसंस्करण प्रक्षेत्र में), यार्न उत्पादन, रंगाई एवं छपाई (टेक्सटाईल, अपैरेल
एवं चमड़ा प्रक्षेत्र में)।
4. काष्ठ आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए नीति अंतर्गत प्राथमिकता कोटि में नया प्रक्षेत्र समाम्वेषित किया गया हैः- लुगदी और कागज उद्योग, दियासलाई उद्योग, टिम्बर एवं चिरान लकड़ी उद्योग, प्लाईवुड, प्लाईबोर्ड, लेमिनेट एवं विनीयर उत्पादन, बांस आधारित उद्योग, पार्टिकल बोर्ड उत्पादन, इत्यादि।
5. कोविड -19 के कारण उत्पन्न समस्या के निराकरण हेतू निम्न नये प्रावधान किये गये हैः-
राज्य के बाहर में अव्यस्थित उद्योगों के बिहार में स्थानांतरण को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष
प्रोत्साहन पैकेज लाया गया है।
यह प्रोत्साहन पैकेज एक वर्ष के लिए वैद्य होगा।
इस पैकेज के तहत प्लांट और मशीनरी के स्थानांतरण और उनके स्थापना पर हुए व्यय के 80 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति की जाएगी। साथ ही कच्चे माल के परिवहन पर हुए व्यय का 80 प्रतिशत भी प्रतिपूर्ति की जाएगी। इसके अतिरिक्त एक वर्ष के लिए इपीएफ में कर्मियों का योगदान तथा नियोक्ता का योगदान 12 प्रतिशत तक प्रतिपूर्ति की जाएगी।
6. कोविड -19 के कारण उत्पन्न रोजगार की समस्या के समाधान हेतु रोजगार सृजन के लिए निम्न प्रावधान किए गए हैं –
जिला परामर्शदाता केन्द्र द्वारा स्कील मैपिंग कर राज्य में नियोजन के अवसरों का सुझाव दिया जाएगा।
जिला औद्योगिक नव परिवर्तन योजना अन्तर्गत प्रत्येक जिले में पांच कलस्टरों का निर्माण किया जाएगा।
राज्य के लोक उपक्रमों द्वारा प्रत्येक जिले में दो कलस्टरों का निर्माण किया जाएगा।
7. राज्य में सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करने और उनके लिए बाजार उपलब्ध कराने हेतु खरीद अधीमानता नीति में अनुकूल प्रावधान किए गए हैं। राज्य के सभी विभाग एक महीने के अंदर ऐसे उत्पादों को चिनिहत करेंगे जिनका कार्य राज्य अवस्थित इकाईयों से ही किया जाएगा। विभाग के द्वारा ठीका देने पर ठीकेदार द्वारा भी चिन्हित उत्पादों का कार्य राज्य अवस्थित इकाईयों से ही किया जाएगा
बिहार झारखंड स्टेट हेड शंकर झा की रिपोर्ट


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