गाँव मीरपुर में पराली जलाने पर चार किसानों के खिलाफ केस जालंधर से विशाल की रिपोर्ट _गेहूँ की पराली को आग लगाने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्यवाही करते हुए मकसूदां पुलिस ने जिले के गाँव मीरपुर में चार किसानों पर केस दर्ज किये करनवीर सिंह, सुरमा सिंह, तरसेम सिंह, और अवतार सिंह गाँव मीरपुर के किसानों के ख़िलाफ़ धारा 188, 269 और 270 आई.पी.सी. और नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 की धारा बी के अंतर्गत एफ.आई.आर. दर्ज की गई है।मुख्य कृषि अधिकारी डा.सुरिन्दर सिंह ने बताया कि कृषि विकास अधिकारी डा.दिनेश कुमार के नेतृत्व में विभाग की टीम ने मौके पर जा कर दौरा किया और मकसूदां पुलिस को गेहूँ की पराली को आग लगने सम्बन्धित सूचना दी गई।डा.सिंह ने बताया कि डिप्टी कमिशनर -कम – जिला मैजिस्ट्रेट वरिन्दर कुमार शर्मा ने फ़ौजदारी विवरण संहिता 1973 की धारा 144 और नैशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के अंतर्गत गेहूँ की पराली को आग लगाने पर पाबंदी के आदेश पहले ही जारी किये थे। उन्होनें बताया कि गेहूँ की पराली को आग लगाने से कई ज़हरीले गैसें पैदा होती है। जिस का मानवीय स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने साथ-साथ वातावरण भी प्रदूषित होता है। उन्होनें कहा कि फसलों के अवशेष को आग लगाने से धरती की उपजाऊ शक्ति का नुक्सान होता है और ज़मीन के कई पौष्टिक तत्व जल जाते हैं, साथ ही धुएं के कारण कई सड़क दुर्घटनाएँ होने का डर भी बना रहता है । उन्होनें कहा कि कोविड -19 महामारी के कारण पैदा हुई स्थिति के दौरान गेहूँ की पराली को जलाने से कोविड -19 से प्रभावित मरीजों को भी कई समस्याएँ पैदा हो सकतीं हैं

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गाँव मीरपुर में पराली जलाने पर चार किसानों के खिलाफ केस

जालंधर से विशाल  की रिपोर्ट    _गेहूँ की पराली को आग लगाने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्यवाही करते हुए मकसूदां पुलिस ने जिले के गाँव मीरपुर में चार किसानों पर केस दर्ज किये
करनवीर सिंह, सुरमा सिंह, तरसेम सिंह, और अवतार सिंह गाँव मीरपुर के किसानों के ख़िलाफ़ धारा 188, 269 और 270 आई.पी.सी. और नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 की धारा बी के अंतर्गत एफ.आई.आर. दर्ज की गई है।मुख्य कृषि अधिकारी डा.सुरिन्दर सिंह ने बताया कि कृषि विकास अधिकारी डा.दिनेश कुमार के नेतृत्व में विभाग की टीम ने मौके पर जा कर दौरा किया और मकसूदां पुलिस को गेहूँ की पराली को आग लगने सम्बन्धित सूचना दी गई।डा.सिंह ने बताया कि डिप्टी कमिशनर -कम – जिला मैजिस्ट्रेट वरिन्दर कुमार शर्मा ने फ़ौजदारी विवरण संहिता 1973 की धारा 144 और नैशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के अंतर्गत गेहूँ की पराली को आग लगाने पर पाबंदी के आदेश पहले ही जारी किये थे।
उन्होनें बताया कि गेहूँ की पराली को आग लगाने से कई ज़हरीले गैसें पैदा होती है। जिस का मानवीय स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने साथ-साथ वातावरण भी प्रदूषित होता है। उन्होनें कहा कि फसलों के अवशेष को आग लगाने से धरती की उपजाऊ शक्ति का नुक्सान होता है और ज़मीन के कई पौष्टिक तत्व जल जाते हैं, साथ ही धुएं के कारण कई सड़क दुर्घटनाएँ होने का डर भी बना रहता है । उन्होनें कहा कि कोविड -19 महामारी के कारण पैदा हुई स्थिति के दौरान गेहूँ की पराली को जलाने से कोविड -19 से प्रभावित मरीजों को भी कई समस्याएँ पैदा हो सकतीं हैं

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