लॉकडाउन में बिहार के बाहर फंसे छात्रों को एक हजार रुपये देगी नीतीश सरकार पटना, 27 अप्रैल (एएनएस)।लॉकडाउन के कारण बाहर फंसे छात्रों को भी बिहार सरकार एक-एक हजार देगी। आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्रुडु ने प्रेस कांफ्रेंस में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि छात्रों के लिए अलग से हेल्पलाइन नंबर पर अभी तक 1038 फोन आए हैं। इनमें से 90 प्रतिशत छात्र वैसे थे, जो अपने घर आना चाहते हैं। वहीं पांच प्रतिशत के पास भोजन की दिक्कत है तो उतने ही छात्रों के पास पैसे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सर्वाधिक 357 फोन राजस्थान, 103 दिल्ली, 60 उत्तर प्रदेश, 40 मध्यप्रदेश, 30 पंजाब और 25 पश्चिम बंगाल से आए हैं। संबंधित राज्यों के जिला प्रशासन से बात कर छात्रों को भोजन मुहैया कराया जा रहा है। वहीं जिनके पास पैसे की दिक्कत है, उन्हें एक-एक हजार सहायता राशि देने की कार्रवाई चल रही है वहीं सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार ने कहा कि अब प्रखंड स्तर पर भी क्वारनटाइन कैंप बनाए जा रहे हैं, जहां पर बाहर से आ रहे लोगों को रखा जाएगा। प्रखंड स्तर पर के कैंप की निगरानी और बेहतर ढंग से हो सकेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि दूसरे राज्यों में फंसे बिहार के छात्रों को लॉकडाउन के दौरान अपने प्रदेश बुलाने पर केंद्र सरकार आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करे। जबतक नियमों में संशोधन नहीं होगा, किसी को भी वापस बुलाना न्याय संगत नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान सोमवार को नीतीश कुमार ने अपने विचार साझा किए और कई अहम सुझाव भी दिए। मुख्यमंत्री ने कहा राजस्थान के कोटा में कोचिंग संस्थान में बिहार के छात्र भी बड़ी संख्या में पढ़ते हैं। कुछ राज्य अपने छात्रों को वहां से वापस बुलाए हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से कोटा के छात्रों के संबंध में कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश के अनुरूप हमलोग लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। गृह मंत्रालय द्वारा जारी सेंट्रल डिजास्टर एक्ट के अनुसार अभी अन्तर्राज्यीय आवागमन पर प्रतिबंध है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि कोटा ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में भी बिहार के छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में बिहार के लोग जो बाहर फंसे हैं, उन्होंने फोन के माध्यम से आपदा प्रबंधन विभाग, नई दिल्ली स्थिति बिहार भवन और मुख्यमंत्री कार्यालय में अपनी समस्याएं बतायी हैं। एक लाख से अधिक फोन और मैसेजेज आ चुके हैं। बाहर फंसे बिहार के मजदूरों एवं जरूरतमंदों को मुख्यमंत्री विशेष सहायता के रूप में एक-एक हजार रुपए दिए जा रहे हैं। अब तक 25 लाख आवेदन आ चुके हैं, जिनमें से 15 लाख लोगों के खाते में राशि भेज दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बाहर से कुछ लोग अभी भी आ रहे हैं, जिनमें कई संक्रमित पाए गए हैं। उनके माध्यम से अन्य लोग भी संक्रमित हो रहे हैं। मेरा विनम्र निवेदन है कि जो भी लोग बाहर से भेजे जा रहे हैं, उनकी पहले स्वास्थ्य जांच करवा ली जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए एकजुट होकर अच्छा काम कर रहा है। केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के अनुरुप तो काम किए ही जा रहे हैं, साथ ही कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हमलोग भी अपने स्तर से अतिरिक्त कार्य कर रहे हैं। राज्य के अधिकारीगण, पुलिस पदाधिकारी, चिकित्सकगण पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं। राज्यवासियों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। लॉकडाउन कब तक जारी रहना है, यह निर्णय केंद्र सरकार को करना है। इस मामले में विशेषज्ञों की राय ली जा सकती है। केंद्र सरकार का इस पर जो भी फैसला होगा हम उसका अनुपालन करेंगे।

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लॉकडाउन में बिहार के बाहर फंसे छात्रों को एक हजार रुपये देगी नीतीश सरकार

पटना, 27 अप्रैल (एएनएस)।लॉकडाउन के कारण बाहर फंसे छात्रों को भी बिहार सरकार एक-एक हजार देगी। आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्रुडु ने प्रेस कांफ्रेंस में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि छात्रों के लिए अलग से हेल्पलाइन नंबर पर अभी तक 1038 फोन आए हैं। इनमें से 90 प्रतिशत छात्र वैसे थे, जो अपने घर आना चाहते हैं। वहीं पांच प्रतिशत के पास भोजन की दिक्कत है तो उतने ही छात्रों के पास पैसे नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि सर्वाधिक 357 फोन राजस्थान, 103 दिल्ली, 60 उत्तर प्रदेश, 40 मध्यप्रदेश, 30 पंजाब और 25 पश्चिम बंगाल से आए हैं। संबंधित राज्यों के जिला प्रशासन से बात कर छात्रों को भोजन मुहैया कराया जा रहा है। वहीं जिनके पास पैसे की दिक्कत है, उन्हें एक-एक हजार सहायता राशि देने की कार्रवाई चल रही है वहीं सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार ने कहा कि अब प्रखंड स्तर पर भी क्वारनटाइन कैंप बनाए जा रहे हैं, जहां पर बाहर से आ रहे लोगों को रखा जाएगा। प्रखंड स्तर पर के कैंप की निगरानी और बेहतर ढंग से हो सकेगी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि दूसरे राज्यों में फंसे बिहार के छात्रों को लॉकडाउन के दौरान अपने प्रदेश बुलाने पर केंद्र सरकार आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करे। जबतक नियमों में संशोधन नहीं होगा, किसी को भी वापस बुलाना न्याय संगत नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान सोमवार को नीतीश कुमार ने अपने विचार साझा किए और कई अहम सुझाव भी दिए। मुख्यमंत्री ने कहा राजस्थान के कोटा में कोचिंग संस्थान में बिहार के छात्र भी बड़ी संख्या में पढ़ते हैं। कुछ राज्य अपने छात्रों को वहां से वापस बुलाए हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से कोटा के छात्रों के संबंध में कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश के अनुरूप हमलोग लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। गृह मंत्रालय द्वारा जारी सेंट्रल डिजास्टर एक्ट के अनुसार अभी अन्तर्राज्यीय आवागमन पर प्रतिबंध है। 

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि कोटा ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में भी बिहार के छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में बिहार के लोग जो बाहर फंसे हैं, उन्होंने फोन के माध्यम से आपदा प्रबंधन विभाग, नई दिल्ली स्थिति बिहार भवन और मुख्यमंत्री कार्यालय में अपनी समस्याएं बतायी हैं। एक लाख से अधिक फोन और मैसेजेज आ चुके हैं। बाहर फंसे बिहार के मजदूरों एवं जरूरतमंदों को मुख्यमंत्री विशेष सहायता के रूप में एक-एक हजार  रुपए दिए जा रहे हैं। अब तक 25 लाख आवेदन आ चुके हैं, जिनमें से 15 लाख लोगों के खाते में राशि भेज दी गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बाहर से कुछ लोग अभी भी आ रहे हैं, जिनमें कई संक्रमित पाए गए हैं। उनके माध्यम से अन्य लोग भी संक्रमित हो रहे हैं। मेरा विनम्र निवेदन है कि जो भी लोग बाहर से भेजे जा रहे हैं, उनकी पहले स्वास्थ्य जांच करवा ली जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए एकजुट होकर अच्छा काम कर रहा है। केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के अनुरुप तो काम किए ही जा रहे हैं, साथ ही कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हमलोग भी अपने स्तर से अतिरिक्त कार्य कर रहे हैं। राज्य के अधिकारीगण, पुलिस पदाधिकारी, चिकित्सकगण पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं। राज्यवासियों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। लॉकडाउन कब तक जारी रहना है, यह निर्णय केंद्र सरकार को करना है। इस मामले में विशेषज्ञों की राय ली जा सकती है। केंद्र सरकार का इस पर जो भी फैसला होगा हम उसका अनुपालन करेंगे।

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