*शुष्क बागवानी अपनाकर गया के किसान करेंगे आय दोगुनी - डा॰ प्रेम कुमार* राजेश कुमार मिश्रा की रिपोर्ट डाॅ॰ प्रेम कुमार, माननीय मंत्री, कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार ने सहायक निदेषक, उद्यान, गया श्री ओम प्रकाष मिश्रा से गया जिले के शुष्क क्षेत्रों के लिये स्वीकृत बागवानी से संबंधित योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। समीक्षा के बाद माननीय मंत्री ने कहा कि गया जिला का अधिकतर क्षेत्र रेनफेड कन्डीषन के अन्तर्गत पड़ता है जहाॅ के किसान खेती करने के लिये पूरी तरह मानसून में होने वाली वर्षा पर निर्भर करते हैं। अच्छी और समय पर वर्षा होने पर उनकी फसल अच्छी होती है अन्यथा मायूस होना पड़ता है। ऐसे क्षेत्र में किसानों की अनिष्चितता दूर करने के लिये राज्य सरकार शुष्क बागवानी की योजना को लागू कर रही है। इस योजना अन्तर्गत किसान पाॅच प्रकार के कम पानी में होने वाले फलों की खेती करके अपने लिये एक निष्चित आय का साधन सृजत कर सकते हैं और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के सपने को साकार कर सकते है। गया जिला की जलवायु के अनुकूल नींबू, शरीफा, बेर, अनार एवं मीठा नींबू या सन्तरा की खेती का प्रत्यक्षण कार्यक्रम लागू किया गया है। योजना अन्तर्गत खेती हेतु पौध रोपण सामग्री एवं जैविक खाद आदि सामग्रियों के लिए 75 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है। छोटी जोत के किसान भी योजना का लाभ ले सकें इसलिये योजनान्तर्गत एक ईकाई प्रत्यक्षण का क्षेत्रफल मात्र 2000 वर्ग मीटर रखा गया है। कोई भी किसान अधिकतम दो ईकाई अर्थात 4000 वर्ग मीटर हेतु आवेदन कर सकता है। माननीय मंत्री ने कहा कि इस योजनन्तर्गत आत्मा के तहत गठित कृषक हित समूहों, खाद्य सुरक्षा समूहों एवं एफ॰ पी॰ ओ॰ आदि को प्राथमिकता देने का निदेश दिया गया है तथा प्रत्यक्षण कार्य को कलस्टर में कराने का भी निदेश दिया गया है। समीक्षा के क्रम में सहायक निदेषक, उद्यान, गया ने बताया कि गया जिला में नीबू के लिये 90 प्रत्यक्षण का लक्ष्य है जिसमें लागत 10885 रुपये है एवं सरकार से 8164 रुपये सहायता दिया जायेगा। शरीफा का 40 प्रत्यक्षण स्वीकृत है जिसकी लागत 18000 रुपये प्रति ईकाई है और सरकारी सहायता 13500 रुपये प्रति ईकाई है। बेर के लिये 26 ईकाई प्रत्क्षण का लक्ष्य है जिसकी प्रति ईकाई लागत 7800 रुपये है और सरकारी सहायता 5850 रुपये दिया जा रहा है। अनार के लिये 110 ईकाई का लक्ष्य है जिसकी प्रति ईकाई लागत 15664 रुपये है एवं सरकारी सहायता 11748 रुपये स्वीकृत है। मीठा नींबू या संतरा के लिये 50 ईकाई का प्रत्यक्षण आयोजित किया जाना है जिसकी प्रति ईकाई लागत 8224 रुपये स्वीकृत है एवं योजना अन्तर्गत 6168 रुपये सहयोग के राषि व्यय की जायेगी। उद्यान विभाग किसानों को 05 हेक्टेयर के कलस्टर में पौधे लगाने के लिये प्रोत्साहित कर रहा है। गया के अलावा मगध प्रमण्डल में नवादा एवं औरंगाबाद जिलों में भी योजना क्रियान्वित की जा रही है। योजना के लिये आॅनलाईन आवेदन www.horticulture.bihar.gov.in पर जाकर किया जा सकता है। इच्छुक किसान अपने प्रखण्ड के प्रखण्ड उद्यान पदाधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं। माननीय मंत्री ने कहा कि पौधों को लगाने के लिये बनने वाले गडढ़ों को बनाने का समय मई माह ही होता है इसलिये लाभार्थियों का चयन ससमय पूरा करते हुये लगाये जाने वाले फल वृक्ष के गडढ़ों को ससमय बनवा लिया जाय। पौध सामग्री उच्च गुणवत्ता की आपूर्ती करायी जाय एवं किसानों को बागवानी में ड्रिप सिंचाई प्रणाली लगाने के लिये प्रोत्साहित किया जाय। आत्मा अन्तर्गत गठित hकृषक हित समूह एवं महिला खाद्य सुरक्षा समूह के सदस्यों से आॅनलाईन आवेदन कराया जाय।

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*शुष्क बागवानी अपनाकर गया के किसान करेंगे आय दोगुनी - डा॰ प्रेम कुमार*

 राजेश कुमार मिश्रा की रिपोर्ट

डाॅ॰ प्रेम कुमार, माननीय मंत्री, कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार ने सहायक निदेषक, उद्यान, गया श्री ओम प्रकाष मिश्रा से गया जिले के शुष्क क्षेत्रों के लिये स्वीकृत बागवानी से संबंधित योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की।
समीक्षा के बाद माननीय मंत्री ने कहा कि गया जिला का अधिकतर क्षेत्र रेनफेड कन्डीषन के अन्तर्गत पड़ता है जहाॅ के किसान खेती करने के लिये पूरी तरह मानसून में होने वाली वर्षा पर निर्भर करते हैं। अच्छी और समय पर वर्षा होने पर उनकी फसल अच्छी होती है अन्यथा मायूस होना पड़ता है। ऐसे क्षेत्र में किसानों की अनिष्चितता दूर करने के लिये राज्य सरकार शुष्क बागवानी की योजना को लागू कर रही है। इस योजना अन्तर्गत किसान पाॅच प्रकार के कम पानी में होने वाले फलों की खेती करके अपने लिये एक निष्चित आय का साधन सृजत कर सकते हैं और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के सपने को साकार कर सकते है। गया जिला की जलवायु के अनुकूल नींबू, शरीफा, बेर, अनार एवं मीठा नींबू या सन्तरा की खेती का प्रत्यक्षण कार्यक्रम लागू किया गया है। योजना अन्तर्गत खेती हेतु पौध रोपण सामग्री एवं जैविक खाद आदि सामग्रियों के लिए 75 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है। छोटी जोत के किसान भी योजना का लाभ ले सकें इसलिये योजनान्तर्गत एक ईकाई प्रत्यक्षण का क्षेत्रफल मात्र 2000 वर्ग मीटर रखा गया है। कोई भी किसान अधिकतम दो ईकाई अर्थात 4000 वर्ग मीटर हेतु आवेदन कर सकता है।
माननीय मंत्री ने कहा कि इस योजनन्तर्गत आत्मा के तहत गठित कृषक हित समूहों, खाद्य सुरक्षा समूहों एवं एफ॰ पी॰ ओ॰ आदि को प्राथमिकता देने का निदेश दिया गया है तथा प्रत्यक्षण कार्य को कलस्टर में कराने का भी निदेश दिया गया है।
समीक्षा के क्रम में सहायक निदेषक, उद्यान, गया ने बताया कि गया जिला में नीबू के लिये 90 प्रत्यक्षण का लक्ष्य है जिसमें लागत 10885 रुपये है एवं सरकार से 8164 रुपये सहायता दिया जायेगा। शरीफा का 40 प्रत्यक्षण स्वीकृत है जिसकी लागत 18000 रुपये प्रति ईकाई है और सरकारी सहायता 13500 रुपये प्रति ईकाई है। बेर के लिये 26 ईकाई प्रत्क्षण का लक्ष्य है जिसकी प्रति ईकाई लागत 7800 रुपये है और सरकारी सहायता 5850 रुपये दिया जा रहा है। अनार के लिये 110 ईकाई का लक्ष्य है जिसकी प्रति ईकाई लागत 15664 रुपये है एवं सरकारी सहायता 11748 रुपये स्वीकृत है। मीठा नींबू या संतरा के लिये 50 ईकाई का प्रत्यक्षण आयोजित किया जाना है जिसकी प्रति ईकाई लागत 8224 रुपये स्वीकृत है एवं योजना अन्तर्गत 6168 रुपये सहयोग के राषि व्यय की जायेगी। उद्यान विभाग किसानों को 05 हेक्टेयर के कलस्टर में पौधे लगाने के लिये प्रोत्साहित कर रहा है। गया के अलावा मगध प्रमण्डल में नवादा एवं औरंगाबाद जिलों में भी योजना क्रियान्वित की जा रही है। योजना के लिये आॅनलाईन आवेदन www.horticulture.bihar.gov.in पर जाकर किया जा सकता है। इच्छुक किसान अपने प्रखण्ड के प्रखण्ड उद्यान पदाधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं।
माननीय मंत्री ने कहा कि पौधों को लगाने के लिये बनने वाले गडढ़ों को बनाने का समय मई माह ही होता है इसलिये लाभार्थियों का चयन ससमय पूरा करते हुये लगाये जाने वाले फल वृक्ष के गडढ़ों को ससमय बनवा लिया जाय। पौध सामग्री उच्च गुणवत्ता की आपूर्ती करायी जाय एवं किसानों को बागवानी में ड्रिप सिंचाई प्रणाली लगाने के लिये प्रोत्साहित किया जाय। आत्मा अन्तर्गत गठित hकृषक हित समूह एवं महिला खाद्य सुरक्षा समूह के सदस्यों से आॅनलाईन आवेदन कराया जाय।

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